कोलकाता/नयी दिल्ली : मदर टेरेसा द्वारा स्थापित ‘मिशनरीज आॅफ चैरिटी’ संचालित सभी बाल देखभाल गृहों ने किशोर न्याय कानून के तहत अपनी संस्थाओं को मान्यता देने के लिए आवेदन किया है.
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मिशनरीज आफ चैरिटी ने 79 बाल देखभाल गृहों की मान्यता के लिए किया आवेदन
कोलकाता/नयी दिल्ली : मदर टेरेसा द्वारा स्थापित ‘मिशनरीज आॅफ चैरिटी’ संचालित सभी बाल देखभाल गृहों ने किशोर न्याय कानून के तहत अपनी संस्थाओं को मान्यता देने के लिए आवेदन किया है. हालांकि, इसमें महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के बाल देखभाल गृह शामिल नहीं हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. वर्ष 2015 में मंत्रालय और चैरिटी […]
हालांकि, इसमें महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के बाल देखभाल गृह शामिल नहीं हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. वर्ष 2015 में मंत्रालय और चैरिटी के बीच एक वैचारिक गतिरोध उत्पन्न हो गया था, जिन मुद्दों को लेकर गतिरोध उत्पन्न हुआ था, उनमें चैरिटी द्वारा बच्चों को अलग हो चुके या तलाक ले चुके अभिभावकों को गोद देने से इनकार करना शामिल था.
इसके बाद मिशनरीज आॅफ चैरिटी ने बच्चों को सरकार के सेंट्रल एडोपशन रिसोर्स अथॉरिटी (सीएआरए) प्रणाली के तहत गोद देना बंद करने का निर्णय किया.
हालांकि, गत वर्ष अक्टूबर में तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने उन्हें आग्रह किया कि वे सरकार की गोद लेने की सेवाओं की व्यवस्था में लौट आएं.
अधिकारियों ने बताया कि एक बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के धिकारियों ने मिशन आॅफ चैरिटी से कहा कि वे या तो बाल देखभाल संस्थाओं की मान्यता लें या उन्हें बंद कर दें. इसके बाद देशभर के 79 बाल देखभाल संस्थाओं, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र को छोड़कर, सभी 79 बाल देखभाल संस्थाओं ने मान्यता के लिए आवेदन दिया.
महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में करीब 12 संस्थाएं हैं. उन्होंने कहा कि मंजूरी संबद्ध राज्य सरकारों द्वारा दी जाएगी. अधिकारियों ने कहा कि ये मिशन आफ चैरिटी की बाल देखभाल संस्थाओं में छह वर्ष से अधिक आयु के 1000 से अधिक बच्चे हैं और उनमें से अधिकतर को विशेष देखभाल की जरुरत है. किशोर न्याय (बाल देखभाल एवं सुरक्षा) अधिनियम 2015 के तहत बाल देखभाल संस्थाओं का पंजीकरण और उन्हें सीएआरए से जोड़ा जाना अनिवार्य है.
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