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पुष्पा भालोटिया की मौत की जांच फिर सीबीआइ के हवाले, सीआइडी जांच से संतुष्ट नहीं है हाइकोर्ट

कोलकाता/रानीगंज : रानीगंज के उद्योगपति भक्ति राम भालोटिया के पुत्र मनोज भालोटिया की पत्नी पुष्पा भालोटिया की मौत की जांच का दायित्व कलकत्ता हाइकोर्ट ने गुरुवार को फिर सीबीआइ को सौंप दिया. हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान पेश की गयी सीआइडी की जांच रिपोर्ट से न्यायाधीश देवांशु बसाक संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने […]

कोलकाता/रानीगंज : रानीगंज के उद्योगपति भक्ति राम भालोटिया के पुत्र मनोज भालोटिया की पत्नी पुष्पा भालोटिया की मौत की जांच का दायित्व कलकत्ता हाइकोर्ट ने गुरुवार को फिर सीबीआइ को सौंप दिया. हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान पेश की गयी सीआइडी की जांच रिपोर्ट से न्यायाधीश देवांशु बसाक संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने फिर से जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दिया. गौरतलब है कि इससे पहले 21 अगस्त 2018 को मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के न्यायाधीश राजशेखर मान्हा ने मामले की सीबीआइ जांच का आदेश दिया था.

इसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी और डिवीजन बेंच ने मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ से लेकर सीआइडी को सौंप दिया था और उसके बाद दिसंबर 2018 में मामले के मुख्य आरोपी मनोज भालोटिया को जमानत मिल गयी थी, लेकिन गुरुवार को सीआइडी की आेर से हाइकोर्ट में जांच रिपोर्ट पेश की गयी, जिससे हाइकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ, क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट व सीआइडी की रिपोर्ट में मृत्यु का कारण अलग-अलग बताया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण गोली लगना बताया गया है, जबकि सीआइडी ने इसे आत्महत्या करार दिया है.
न्यायाधीश ने सवाल किया कि कोई भी व्यक्ति खुद को गोली मार आग कैसे लगायेगा. साथ ही हाइकोर्ट ने पूछा कि सीसीटीवी व फारेंसिक रिपोर्ट को देखे बिना सीआइडी ने अपनी जांच रिपोर्ट कैसे जमा कर दी. सीआइडी के वकील का कहना था कि सीआइडी जांच कर रही है.
आरोपियों को कई बार बुलाने पर भी वह हाजिर नहीं हो रहे हैं. सीआइडी के कथन पर हाइकोर्ट ने असंतोष प्रकट किया और मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने इसके खिलाफ याचिका दायर की और जांच का जिम्मा सीआइडी के पास ही रह गया.
अगस्त 2018 से सीआइडी ने अपनी जांच शुरू की और नवंबर 2018 में अपनी जांच रिपोर्ट जमा की, सीआइडी की जांच रिपोर्ट से हाइकोर्ट संतुष्ट नहीं और एक बार फिर से मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दिया.
क्या कहा भाई ने
मृतका के भाई गोपाल अग्रवाल ने कहा कि सीआइडी तथा पुलिस जो तथ्य प्रस्तुत कर रही थी वह ठीक नहीं है. आरोपी को बचाये जाने का प्रयास किया जा रहा था,जबकि इस मामले का सच लोगों के सामने आना चाहिए.
क्या थी घटना
बीते पांच अक्तूबर 2017 को रानीगंज के एनएसबी रोड स्थित पुष्पा भालोटिया के ससुराल में पुष्पा को रक्तरंजित अवस्था में गोली लगे तथा जले हुए अवस्था में उसके घर में पाया गया था. तत्काल उसे इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल आनंदलोक ले जाया गया था जहां से उसे दुर्गापुर के मिशन अस्पताल में ले जाया गया था.
इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी. उसकी मौत के पश्चात 13 अक्तूबर को पुष्पा के भाई गोपाल अग्रवाल ने स्पीड पोस्ट के माध्यम से रानीगंज थाना में शिकायत पत्र भेजी थी मगर पुलिस द्वारा शिकायत पत्र न लिए जाने पर छह नवंबर, 2017 को रानीगंज थाना में उपस्थित होकर पुष्पा के पति मनोज भालोटिया पुष्पा के जेठ राजेश भालोटिया तथा जेठानी सविता भालोटिया के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी थी. रानीगंज पुलिस ने धारा 302/ 498ए/ 25, 27 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था.
दिसंबर माह में आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट ने बढ़ते दबाव से यह मामला सीआइडी को सौंप दिया था. जबकि फरवरी 18 में गोपाल अग्रवाल ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की. हाइकोर्ट ने 20 फरवरी, 2018 तक सीआइडी को रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया था,पर ढाई माह तक कोलकाता हाइकोर्ट में हड़ताल होने के कारण यह मामला आगे नहीं बढ़ पाया.
तत्पश्चात हाइकोर्ट ने तत्काल रिपोर्ट सीआइडी को सौपे जाने का आदेश दिया. 19 अगस्त, 2018 को सीआइडी ने यह रिपोर्ट हाइकोर्ट में जमा किया पर रिपोर्ट न्याय संगत ना होने के कारण हाइकोर्ट ने जांच सीआइडी से लेकर अगस्त 2018 को सीबीआइ को यह मामला सौंप दिया था. परंतु 27 अगस्त को सरकार ने डबल बेंच से अपील की.
मामला पुन: सीआइडी को सौंपा जाये. हाइकोर्ट ने यह आवेदन स्वीकार करते हुए 90 दिन के अंदर सीआइडी को रिपोर्ट जमा करने का आदेश देते हुए पुन: मामला सीआइडी को सौपा. तत्पश्चात 19 सितंबर, 2018 को मनोज भालोटिया को सीआइडी ने गिरफ्तार कर आसनसोल जेल भेज दिया. दिसंबर 2018 में सीआइडी ने चार्जशीट दाखिल किया,पर जनवरी 2019 में पुष्पा के भाई गोपाल अग्रवाल ने सीआइडी द्वारा पेश किए गए चार्जसीट के विरुद्ध हाइकोर्ट से स्वतंत्र जांच कराने की मांग की, जिसके आधार पर हाइकोर्ट ने पुनः जांच का आदेश सीबीआइ को दे दिया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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