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सेरेब्रल पॉल्सी दिवस पर सम्मानित हुए जीजा व सायोमदेव

कोलकाता : केयरिंग माइंड्स की ओर से राष्ट्रीय सेरेब्रल पॉल्सी दिवस मनाया गया. इस समस्या से जुड़ी चुनाैतियों व उपचार पर एक परिचर्चा का आयोजन भी किया गया. इसमें कई विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की. कई अभिभावकों ने यहां सेरेब्रल पॉल्सी से पीड़ित उनके बच्चों को हो रही समस्याओं व सुधार के अनुभव साझा […]

कोलकाता : केयरिंग माइंड्स की ओर से राष्ट्रीय सेरेब्रल पॉल्सी दिवस मनाया गया. इस समस्या से जुड़ी चुनाैतियों व उपचार पर एक परिचर्चा का आयोजन भी किया गया. इसमें कई विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की. कई अभिभावकों ने यहां सेरेब्रल पॉल्सी से पीड़ित उनके बच्चों को हो रही समस्याओं व सुधार के अनुभव साझा किये.
कार्यक्रम में दिव्यांगों के अधिकार के लिए काम कर रही जीजा घोष व सायोमदेव मुखर्जी को साहस व हिम्मत दिखाने वाले रोल मॉडल के रूप में सम्मानित किये गये. आइएसीपी के सहयोग से शुरू इस कार्यक्रम में जीजा घोष ने अनुभव साझा किये. सेरेब्रल पॉल्सी से पीड़ित वह पहली ऐसी महिला हैं, जिसने एक बच्चे को अडॉप्ट किया है.
उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज से स्नातक करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी व लीड्स यूनिवर्सिटी, यूके से पढ़ाई की. वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सेरेब्रल पॉल्सी (आइआइसीपी) की फैकल्टी सदस्य हैं. उनके जीवन की यात्रा साहस व ऊर्जा से भरी हुई है. इसी उत्साह के दम पर ही डॉक्यूमेन्ट्री ‘आइ एम जीजा’ बनायी.
सायोमदेव मुखर्जी एक दुर्लभ जेनेटिक डिसआर्डर डोपा रेस्पोनसिव डिस्टोनिया (डीआरडी) से जूझ रहे हैं. यह युवा अभी ह्वीलचेयर पर ही जीवन बिता रहे हैं. रेडियो जॉकी (आरजे डेन) व बांग्ला फिल्म में कार्यकारी निर्माता के रूप में वह काफी सक्रिय रहे. साथ ही एक किताब मेमोरीज ऑफ टाइम भी उसने लिखी है. वर्तमान में वह आइअाइसीपी में एडवोकेसी व तकनीकी सहायक के रूप में काम कर रहा है.
कार्यक्रम में केयरिंग माइंड्स की संस्थापक निदेशक मीनू बुधिया ने जानकारी दी कि कुछ व्यक्ति शारीरिक व बाैद्धिक चुनाैतियों के साथ जन्म लेते हैं, उनका जीवन सामान्य लोगों से बिल्कुल अलग व कठिन होता है. ऐसे लोगों को भी सम्मान से जीने का अधिकार है. व्यक्तिगत ताैर पर ऐसे लोगों को ज्यादा देखभाल व सशक्त करने की जरूरत है, ताकि शैक्षणिक संस्थानों में इनके लिए अवसर बन सकें.
विशेष जरूरत वाले ऐसे लोगों के लिए एक ऐसे प्लेटफॉर्म की जरूरत है, जिससे उनकी संभावनाओं व हुनर को विकसित किया जा सके. इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर केयरिंग माइंड्स की स्थापना की गयी. केयरिंग माइंड्स एक ऐसा सेंटर है, जहां मानसिक हेल्थकेयर पर ध्यान दिया जाता है. इस साइकोलॉजिकल वेलनेस सेंटर का लक्ष्य यही है कि भावनात्मक व मानसिक स्तर पर रोगी को स्वस्थ किया जाये, जिससे वे सामान्य जीवन जी सकें.
साइकोलॉजिकल स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए यहां कई विशेषज्ञों की सेवाएं उपलब्ध हैं. इसमें मनोवैज्ञानिक व आरसीआइ रजिस्टर्ड साइकोलॉजिस्ट भी शामिल हैं. कार्यक्रम में डॉ संदीप सामंत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. प्रो. डॉ. ए के पालित ने सत्र का संचालन किया. पैडियाट्रिक एंड डेवलपमेंट फिजियोथेरेपिस्ट काजी अराफात बशीर ने कहा कि सेरेबरल पॉल्सी से पीड़ित बच्चों के लिए फिजियोथेरेपी का काफी महत्व है, इससे बच्चे में सुधार आ सकता है.
इंडियन एकेडमी ऑफ सेरेब्रल पॉल्सी भी इस क्षेत्र में काफी काम कर रहा है. सेरेब्रल पॉल्सी व न्यूरो डेवलपमेंट अक्षमता को लेकर संस्थान काफी अनुसंधान कर रहा है. कार्यक्रम में डॉ जयंती बोस, डॉ अदिति बंद्योपाध्याय व अन्य उपस्थित थे.

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