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कोलकाता : ब्लड स्टेम सेल दान पर जागरूकता
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में ब्लड स्टेम सेल दान करने के लिए पंजीकरण करानेवाले लोगों की संख्या बढ़ाने के लिए यहां जागरूकता फैलाना जरूरी है. पश्चिम बंगाल से संभावित रक्त स्टेम सेलदाताओं के रूप में अब तक दात्रि (डीएटीआरआइ) में केवल 10,462 दाताओं ने पंजीकरण कराया है, जबकि यहां की आबादी 91,347,736 है. यह जानकारी […]
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में ब्लड स्टेम सेल दान करने के लिए पंजीकरण करानेवाले लोगों की संख्या बढ़ाने के लिए यहां जागरूकता फैलाना जरूरी है. पश्चिम बंगाल से संभावित रक्त स्टेम सेलदाताओं के रूप में अब तक दात्रि (डीएटीआरआइ) में केवल 10,462 दाताओं ने पंजीकरण कराया है, जबकि यहां की आबादी 91,347,736 है.
यह जानकारी शनिवार को दात्रि की पूर्वी भारत की हेड अनन्या घोष ने महानगर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी. उन्होंने बताया कि पूरे देश में अब तक दात्रि के अंतर्गत 3.72 लाख ब्लड स्टेम सेल दाताओं ने पंजीकरण कराया है, जिसे वर्ष 2022 तक 10 लाख करने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि शनिवार को दात्रि की ओर से महानगर में विशेष कार्यक्रम आयोजन किया. कोलकाता के 37 वर्षीय बैंकर हेमंत सोनथालिया, ने दिल्ली से 2.5 वर्षीय लवीशा जैन से मुलाकात की, जिनकी जिंदगी उन्होंने अपने ब्लड स्टेम सेल को दान करके बचाया है. लवीशा जब पांच महीने की थी, तो वह थैलेसेमिया मेजर से ग्रसित थी. उन्होंने बताया कि दाता के ब्लड स्टेम से किसी भी रोगी के सेल का मैच ‘ 10,000 में से 1 से एक मिलियन में एक ‘ भी हो सकता है. हर मैच एक चमत्कार होता है.
यदि कोई स्टेम सेल का मैच मिलता है, तो दाता शायद एक मात्र व्यक्ति है, जो रोगी को बचा सकता है. बैठक के दौरान और दो रोगी मौजूद थे, जिन्होंने जनता को डीएटीआरआइ के साथ पंजीकरण करने और संभावित दाता के रूप में सामने आने अपील की. 41 वर्षीय चंद्रिमा राय चौधरी, एक साल से माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (एमडीएस) से पीड़ित हैं और तीन साल की रचिता मंडल को जन्म से ही थैलेसेमिया मेजर है. वे दोनों अपने जीवन की रक्षा करनेवाले की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
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