कोलकाता : पंचायत में बोर्ड गठन को केंद्र कर आमडांगा में हुई हिंसा पर विपक्ष सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रहा है. इधर इलाके में पुलिस की गश्त जारी है. इलाके में इधर-उधर बम, गोलियों के खोल आदि बिखरे पड़े हैं. तृणमूल की शिकायत के बाद रातोंरात स्थानीय थाने के आइसी का तबादला कर दिया गया है. ताड़ाबेड़िया, बोदाई व मरिचा में बोर्ड गठन का काम भी स्थगित कर दिया गया है. वाममोरचा व कांग्रेस ने आमडांगा में हुई हिंसा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
अब्दुल मन्नान : आमडांगा सहित समूचे राज्य में हिंसा की धारा बह रही है. आमडांगा में इतने बम मिले हैं लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है. बम भाजपा व तृणमूल दोनों के पास ही मौजूद है. दोनों क्या यहां गृहयुद्ध चाहते हैं? पश्चिम बंगाल को रक्त की होली में डुबा कर खुद को लाभ पहुंचाना चाहते हैं? खुद मुख्यमंत्री के हाथों में पुलिस विभाग है. पुलिस क्या कर रही है? जितने हथियार मिले हैं उनसे लोगों की मौत होने पर उसके लिए कौन जिम्मेदार है? इसके लिए मुआवजा कौन भरेगा?
मोहम्मद सलीम : पंचायत व्यवस्था को ध्वंस किया जा रहा है. आमडांगा की घटना भयावह है. यही समूचे राज्य की तस्वीर है. जो भी तृणमूल का विरोध करेगा उसे सिर झुकाना होगा अन्यथा उसका सिर काट दिया जायेगा. मुख्यमंत्री खुद ही पुलिस मंत्री हैं. उनके ही निर्देश पर यह सबकुछ हो रहा है. लिहाजा मंत्री से लेकर पुलिस व समाजविरोधी सभी एकजुट हो गये हैं. यह लोकतंत्र के अलावा पंचायत व्यवस्था के लिए भी घातक है. वह केवल वोटों को नहीं लूटते, मां-बहनों की इज्जत के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है. दुकान-बाजार लूटे जा रहे हैं.
प्रदीप भट्टाचार्य : राज्य में जो कुछ हो रहा है यह नया नहीं है. सामने से तृणमूल के नेता चाहें कुछ भी कहें, हिंसा ही तृणमूल का गुप्त रहस्य व हथियार है. जैसे भी हो सत्ता को थामे रखना ही उनका मूल लक्ष्य है. इसलिए ही ऐसे हथियार इकट्ठा किये गये हैं. पुलिस के जरिए सभी पार्टी कार्यालयों की तलाशी करायी जानी चाहिए. पुलिस को भेज कर वहां कोई लाभ नहीं है. जरूरत बीएसएफ व सीआरपीएफ को भेजने की है.
सूजन चक्रवर्ती : आमडांगा की घटना के लिए ज्योतिप्रिय मल्लिक जिम्मेदार हैं. जैसे भी उन्हें जीत चाहिए. जितनी बार भी वहां पुलिस या डीएम को कहा गया है कोई लाभ नहीं हुआ. पुलिस व डीएम, सभी को तृणमूल निर्देश दे रही है.
पंचायत में कौन जीतेगा इसे तय करने का दायित्व डीएम व एसपी ने लिया है. यह दुर्भाग्य है. बोर्ड गठन की प्रक्रिया में अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है. इसका जवाब कौन देगा? आमडांगा, बारूद के ढेर पर खड़ा है. स्टेट स्पॉन्सर्ड टेरोरिजम चल रहा है. मुख्यमंत्री से वह आवेदन करेंगे कि कि इसे बंद करने के लिए वह कदम उठायें.