Advertisement
सिलीगुड़ी : जूनियर डॉक्टर पर नर्सिंग होम में सेवा देने का आरोप
राज्य चिकित्सा शिक्षा निदेशक तक पहुंची ओटी में मारपीट की रिपोर्ट सीनियर डॉक्टर से मारपीट करने का भी लगा आरोप सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में पिछले दिनों हुई जूनियर व सीनियर डॉक्टर के बीच मारपीट की घटना की जांच रिपोर्ट राज्य के चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) तक पहुंच चुकी है. उस पर क्या […]
राज्य चिकित्सा शिक्षा निदेशक तक पहुंची ओटी में मारपीट की रिपोर्ट
सीनियर डॉक्टर से मारपीट करने का भी लगा आरोप
सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में पिछले दिनों हुई जूनियर व सीनियर डॉक्टर के बीच मारपीट की घटना की जांच रिपोर्ट राज्य के चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) तक पहुंच चुकी है. उस पर क्या फैसला आता है, इसका सभी को इंतजार है. इसी बीच एक नया चौंकानेवाला आरोप सामने आया है.
मारपीट के आरोपी जूनियर डॉक्टर के खिलाफ एक निजी नर्सिंग होम में सेवा देने का आरोप भी लगा है. मेडिकल कॉलेज के एक रेसीडेंट डॉक्टर का खुलेआम नर्सिंग होम में सेवा देने का मामला मेडिकल कॉलेज में चर्चा का विषय बन गया है. आश्चर्य की बात यह है कि अपने रेसीडेंट डॉक्टर की इस हरकत से मेडिकल कॉलेज प्रबंधन बिल्कुल ‘अनजान’ है.
उल्लेखनीय है कि बीते 5 जून को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के जूनियर व सीनियर डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर में ही भिड़ गये थे. किसी बात को लेकर कहासुनी में मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर या आरएमओ ने ऑपरेशन थियेटर में बेड पर पड़े मरीज के सामने ही सीनियर डॉक्टर को थप्पड़ जड़ दिया. इसके बाद दोनों के बीच हाथापाई हुई.
इस घटना में सीनियर डॉक्टर सुशील पायरा को मेडिकल कॉलेज में इलाज कराना पड़ा. आरोपी जूनियर डॉक्टर चंद्रमौली बसु ने इस मामले को अपने स्तर से दबाने की कोशिश की, लेकिन यह मामला डीएमई के कानों तक पहुंच गया. डीएमई देवाशीष भट्टाचार्य ने उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ समीर घोष राय को मामले की जांच करके शीघ्र रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया था. निर्देशानुसार प्राचार्य ने पांच सदस्यों की एक जांच कमिटी गठित कर मामले की जांच करायी. जांच कमिटी की रिपोर्ट गुरुवार को डीएमई को भेज दी गयी है.
जांच कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग आरोपी जूनियर डॉक्टर चंद्रमौली बसु के खिलाफ जो कार्रवाई करेगा, वह बाद की बात है. इससे बड़ी बात यह है कि जूनियर डॉक्टर नर्सिंग होम में सेवा दे रहा है और मेडिकल कॉलेज प्रशासन बेखबर है. इसे मेडिकल प्रशासन भी सवालों के घेरे में है.
मेडिकल कॉलेज सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आरोपी चंद्रमौली बसु उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के रेसीडेंसियल मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) है, जिसे बोलचाल की भाषा में जूनियर डॉक्टर कहा जाता है. नियमानुसार आरएमओ निजी अस्पताल में काम या प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं.
लेकिन चंद्रमौली बसु सिलीगुड़ी के एक नर्सिंग होम में चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि चंद्रमौली बसु काफी प्रभावशाली हैं. मेडिकल कॉलेज में उनका इतना प्रभाव है कि मार खानेवाले सीनियर डॉक्टर सुशील पायरा को कॉलेज प्रशासन का समर्थन तक नहीं मिल पाया.
जानकारी के अनुसार, सिलीगुड़ी के कॉलेजपाड़ा में डॉ चंद्रमौली बसु का अपना नर्सिंग होम है.जहां डॉक्टरों की सूची में उनका नाम भी बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है. इसके अलावा उनका हाथ पकड़कर मेडिकल कॉलेज के कई सीनियर व जूनियर डॉक्टर भी उनके नर्सिंग होम तथा शहर के अन्य निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे हैं. इसी वजह से मेडिकल कॉलेज में उनके खिलाफ कोई सिर उठाने की हिम्मत नहीं करता है.
हालांकि मेडिकल कॉलेज के आरएमओ का निजी अस्पताल में सेवा देने का मामला अब जोर पकड़ने लगा है. कुछ डॉक्टर इसे लेकर आवाज उठाने लगे हैं. उनका आरोप है कि इस बारे में जानकारी होने के बाद भी मेडिकल कॉलेज प्रशासन चंद्रमौली बसु के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल अधीक्षक डॉ कौशिक समाजदार ने बताया कि आरएमओ व सीनियर सर्जन के बीट ऑपरेशन थियेटर में हुई मारपीट मामले की जांच प्राचार्य ् डॉ समीर घोष राय ने करायी है. जांच की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को भेजी जा चुका है. जहां तक आरएमओ चंद्रमौली बसु के निजी अस्पताल में सेवा देने की बात है, तो उन्हें इस संबंध में कुछ मालूम नहीं है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement