शंखनाद समरसता मिशन की ओर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा गीता किसी धर्म या मत का खंडन नहीं करती इसीलिए है सर्वप्रिय
कोलकाता : गीता विश्व का महान ज्ञानग्रंथ होने के साथ-साथ दिव्य वाणी अौर जीवन जीने की विशिष्ट कला-पद्धति है. गीता किसी भी धर्म या मत का खंडन नहीं करती, इसलिए यह सर्वप्रिय है. शंखनाद समरसता मिशन की ओर से रविवार को राजस्थान विद्या मंदिर (गिरीश पार्क, हरियाणा भवन के पास) में आयोजित गीता प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह में उपस्थित वक्ताओं ने ये बातें कहीं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान विद्या मंदिर के संस्थापक मंत्री आत्माराम काजड़िया ने की. कार्यक्रम का संचालन करते हुए मंत्री बालकृष्ण लूंडिया ने बताया कि पिछले चार महीनों तक महानगर के हिंदी व अंग्रेजी मिलाकर कुल 45 विद्यालयों के 1600 बच्चों में गीता प्रतियोगिता आयोजित हुई थी. प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रर्दशन करने वाले 110 बच्चों को आज समारोह के अंतर्गत पुरस्कृत किया गया. पुरस्कार पाने वाले बच्चों में 12 बच्चे मुस्लिम समाज से भी हैं.
श्री जैन विद्यालय के अध्यक्ष विनोद कांकरिया, साल्टलेक शिक्षा निकेतन के मंत्री विश्वनाथ भुवालका, श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी विद्यालय के मंत्री भीखमचंद पुगलिया व गौड़ीय मिशन, बाग बाजार के ऋषिकेश महाराज ने कहा कि यदि जीवन शांतिमय व प्रेममय बनाना है, तो गीता के उपदेशों को आत्मसात करना होगा. इस दौरान सुखचर काठिया बाबा आश्रम के महंत वृंदावन बिहारी दास महाराज, निवेदिता स्कूल बाग बाजार की सदानंद प्राणा माता, महावीर इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल डॉ गोम्स, खन्ना ग्रुप ऑफ स्कूल के मंत्री तथा पार्षद राजेश खन्ना, श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी विद्यालय के मंत्री भीखमचंद पुगलिया सहित अन्य कई स्कूलों के प्रधानाध्यापक व अध्यापक भी कार्यक्रम में मौजूद रहे.
जयगोपाल गुप्ता, एडवोकेट कुसुम लुंडिया, प्रदीप केजरवीवाल, आशुतोष पांडेय, राकेश राम भासा, संजय अग्रवाल व अन्य सदस्यों ने आयोजन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. कौशिक मैत्र और पियाली नाग को गीता अभियान में उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया.