चपरा( नदिया) : इराक के मोसुल में अपने पति की मौत की खबर से बुरी तरह टूट चुकी दिपाली टीकादार की अब बस एक ही इच्छा है, वह एक बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलना चाहती है ताकि उनसे अपने घर का खर्चा चलाने के लिए सरकारी नौकरी की गुजारिश कर सकें.
दिपाली(35) के पति समर टीकादार को वर्ष 2014 में इराक में इस्लामिक स्टेट ने अन्य 38 भारतीयों के साथ अगवा कर लिया था. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को संसद में घोषणा की कि सभी 39 लोग मारे जा चुके हैं. दो बच्चों की मां दिपाली ने कहा, ‘‘ जब मैं मुख्यमंत्री से मिलूंगी तो उन्हें अपनी खराब आर्थिक हालत के बारे में बताऊंगी और उनसे सरकारी नौकरी की अपील करुंगी. मुझे लगता है कि वह मेरी स्थिति को समझेंगी.”
पिछले चार साल से वह इस उम्मीद से कड़ी मेहनत करके अपने बच्चों का पेट पाल रही है कि एक दिन उनका पति लौट आएगा और उनकी जिंदगी बेहतर हो जाएगी. दिपाली ने कहा, ‘‘ मैं सोचती थी कि समर के लौटने के बाद हमारी मुफलिसी के दिन खत्म हो जाएंगे. मुझे नहीं पता कि जिंदगी से क्या उम्मीद करुं.”
दिपाली का बेटा सुदीप दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है और बेटी समिष्ठा चौथी कक्षा में पढ़ती है. उसने कहा, ‘‘ मैं सरकारी नौकरी चाहती हूं ताकि अपने बच्चों को पढ़ा सकूं.” भारत- बांग्लादेश सीमा पर नदिया जिले में मिट्टी से बने दिपाली के मकान को तुरंत मरम्मत की जरुरत है लेकिन इसके लिए उनके पास पैसे नहीं हैं.
उन्होंने गुजारिश की, ‘‘ मुझे एकीकृत बाल विकास सेवा के तहत 4,800 रुपये मिलते हैं. एक परिवार चलाने के लिए यह पर्याप्त नहीं है. कृपया मुझे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिला दीजिए.” समर के साथ ही खाकोन टीकादार भी 2011 में इराक गये थे और दोनों नदिया जिले के चपरा महाखोला इलाके के निवासी थे. उनके परिवार ने आखिरी बार दोनों से 2014 की शुरुआत में बात की थी. उसके बाद आईएस आतंकियों ने उनका अपहरण कर लिया था.
विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने कहा कि सरकार को 39 कामगारों के शव वापस लाने में आठ से10 दिन लगेंगे. बहरहाल, दिपाली अपने पति का शव लेने के लिए कोलकाता हवाईअड्डे पर जाने की इच्छुक नहीं है. उसने कहा, ‘‘ अगर मुझे अपने पति का शव लाने के लिए हवाईअड्डे पर जाने का मौका मिला तो मैं नहीं जाऊंगी. मैं स्थिति से निपटने के लिए तैयार नहीं हूं.”