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बर्नपुर: बीएमएस का दो दिवसीय प्रदेश अधिवेशन शुरू

पूरे प्रदेश के विभिन्न उद्योगों से सात सौ से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी श्रमिक संगठनों के समक्ष बदलती चुनौतियों पर प्रकाश डाला संघ नेताओं ने बर्नपुर : भारतीय मजदूर संघ पश्चिम बंगाल का दो दिवसीय 25 वां त्रैवार्षिक अधिवेशन शनिवार को भारती भवन में आयोजित हुआ. जिसमें बीएमएस के अखिल भारतीय महामंत्री बृजेश उपाध्याय, सचिव […]

पूरे प्रदेश के विभिन्न उद्योगों से सात सौ से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी

श्रमिक संगठनों के समक्ष बदलती चुनौतियों पर प्रकाश डाला संघ नेताओं ने
बर्नपुर : भारतीय मजदूर संघ पश्चिम बंगाल का दो दिवसीय 25 वां त्रैवार्षिक अधिवेशन शनिवार को भारती भवन में आयोजित हुआ. जिसमें बीएमएस के अखिल भारतीय महामंत्री बृजेश उपाध्याय, सचिव डीके पांडे, पूर्व क्षेत्र प्रभारी सुरेश प्रसाद सिंह, सह प्रभारी गणोश प्रसाद, बीएमएस के प्रदेश अध्यक्ष पूजिता सरकार, महामंत्री शंकर दास, उपाध्यक्ष रवि शंकर सिंह, बर्नपुर इस्पात कर्मचारी संघ (बीएमएस) महासचिव दीपक कुमार सिंह, इंटक नेता अजय राय, एटक नेता उत्पल सिंन्हा, एचएमएस नेता मुमताज अहमद, सीटू नेता शुभाशीष बोस, बीएमएस के उमेश सिंह, कमल सिंह, जावेद अख्तर, विश्वजीत माजी, अमित सिंह, संजय सिन्हा, शंकर मेहता, मनजीत सिंह झंडू, रोमेन माजी, संजीव बनर्जी आदि उपस्थित थे. सात सौ प्रतिनिधि शामिल हुए.
रैली निकाली गयी. रैली भारती भवन से निकलकर स्टेशन रोड, बारी मैदान, बस स्टैंड, त्रिवेणी मोड पहुंची. त्रिवेणी मोड स्थित रेलवे ग्राउंड में खुला अधिवेशन हुआ. श्री उपाध्याय ने कहा कि मजदूर आंदोलन परिस्थियो के साथ बदल रहा है. ट्रेड यूनियन भी नयी नयी चुनौतियो का सामना करने को तैयार है. निजी तथा सांगठनिक स्तर पर प्रयास कर परिस्थितियो के अनुरूप स्वयं को सिद्ध करना है. रोजगार का मतलब स्थायी नौकरी होता था. परिस्थितियं बदली ठेका नौकरियो की संख्या में 67 फीसदी की वृद्धि हुयी है. पब्लिक सेक्टर में तीन चौथाई तथा 93 फीसदी अंसगठित क्षेत्रो में ठेका श्रमिक है कांट्रक्टर रेव्यूलेशन एक्ट 1976 का उल्लधन राज्य तथा केन्द्र सरकार कर रही है. तकनीको में तेजी से विकास हो रहा है. देश की आजादी के बाद रोजगार की मौलिक कल्पना स्थायी रोजगार थी. लेकिन वर्त्तमान परिस्थियो में श्रमिको को न्यूनत्तम वेज बडी प्रश्न बन गया है. श्रम कानून में शैक्षणिक वाद विवाद का विषय बन गया है. मजदूर मजबूर हो गया है. किसी भी शर्त्त पर मजूदर रोजगार में जाना चाहता है. इसमें ट्रेड यूनियन कहा तक प्रभाव कर पा रहा है.

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