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रेल बजट में बंगाल की उपेक्षा पर विधानसभा में प्रस्ताव पारित प्रस्ताव का सभी दलों ने किया समर्थन

कोलकाता : रेल बजट में पश्चिम बंगाल की कथित उपेक्षा के खिलाफ गुरुवार को विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ. प्रस्ताव को सभी दलों ने समर्थन दिया. विधानसभा में पारित प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा जायेगा तथा बंगाल के लिए आवंटित बजट पर पुनर्विचार की अपील की जायेगी. राज्य के संसदीय व शिक्षा […]

कोलकाता : रेल बजट में पश्चिम बंगाल की कथित उपेक्षा के खिलाफ गुरुवार को विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ. प्रस्ताव को सभी दलों ने समर्थन दिया. विधानसभा में पारित प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा जायेगा तथा बंगाल के लिए आवंटित बजट पर पुनर्विचार की अपील की जायेगी.

राज्य के संसदीय व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी नेे नियम 185 के तहत विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट व रेल बजट में बंगाल की अनुमोदित परियोजनाओं के लिए कुछ में पर्याप्त राशि नहीं दी तथा कुछ में बिलकुल आवंटन नहीं किया है. बंगाल की उपेक्षा राजनीतिक कारणों से की जा रही है.

यह अवहेलना पूरे राज्य की है और राज्य की जनता की है. राज्य की अवहेलना के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर इसका विरोध करना होगा. माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि बंगाल के प्रति केंद्र सरकार की अवहेलना के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर विरोध करना होगा. इसके पहले केंद्र सरकार द्वारा आठ रेल लाइनों पर ट्रेन सेवा बंद करने की बात कही गयी थी.

इसके खिलाफ उन्होंने 20 जनवरी को मुख्यमंत्री को पत्र देकर आग्रह किया था कि बंगाल के हित के लिए सभी को एकजुट होकर इसका विरोध करना होगा. राज्य के शहरी विकास मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि बंगाल की अवहेलना केवल रेल बजट में ही नहीं की जा रही है, बल्कि जेएनएनयूआरएम परियोजना के लिए भी केंद्र सरकार द्वारा पर्याप्त राशि नहीं दी जाती है. केंद्र सरकार फासीवादी रवैया अपना रखा है.

भाजपा शासित राज्यों को अधिक फंड दिये गये तथा चूंकि तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी केंद्र की जनविरोधी नीतियों का विरोध करती हैं. इस कारण आवंटन घटा दिया गया, जबकि राज्य में रेलवे की परियोजनाओं के लिए कभी भी जमीन की समस्या नहीं हुई और यदि हुई तो इसका समाधान निकाला गया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस रवैये के खिलाफ प्रतिवाद जारी रहेगा.

हालांकि यह 200 फीसदी तय है कि 2019 के बाद देश में मोदी की सरकार नहीं रहेगी. इस सरकार का जाना तय है. कांग्रेस विधायक दल के नेता व विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान व मुख्य सचेतक मनोज चक्रवर्ती ने भी प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार बंगाल की उपेक्षा कर रही है. इसका साझा विरोध करना जरूरी है. यदि कोई प्रतिनिधिमंडल दिल्ली जाता है,

तो वे लोग जाने के लिए तैयार हैं. श्री चक्रवर्ती ने कहा कि केंद्र में भाजपा व राज्य में तृणमूल कांग्रेस विरोधी दलों की अवहेलना कर रही है.भाजपा के विधायक व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बंगाल की अवहेलना एक राजनीतिक मुद्दा है. पश्चिम बंगाल में कई रेल परियोजनाएं हैं तथा रेल मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री ने कई परियोजनाओं की घोषणा की थी,

जिनके लिए किसी भी फंड का अनुमोदन नहीं किया गया था. राज्य में सभी क्षेत्र में अव्यवस्था है. केंद्र के बजट के पहले भी राज्य बजट पेश कर दिया जा रहा है.

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