कोलकाता : राज्य की उच्च माध्यमिक परीक्षा में भले ही छात्राओं का उत्तीर्ण प्रतिशत छात्रों से अधिक हो, लेकिन उच्च शिक्षा में भर्ती तथा शिक्षा के क्षेत्र में नौकरी के मामले में वह पिछड़ी हुई हैं. स्नातक, स्नातकोत्तर, एमफिल, पीएचडी तथा कॉलेज-विश्वविद्यालय में नौकरी के मामले में छात्र काफी आगे हैं. ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआइएसएचइ)2016-17 में यह तथ्य सामने आये हैं. हाल ही में केंद्रीय मानव संंपदा विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे जारी किया है.
उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय स्तर में सामग्रिक तौर पर छात्राओं के मुकाबले छात्र आगे हैं. हालांकि जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, सिक्किम, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर व कुछ अन्य छोटे राज्यों में लड़कियां आगे हैं. रिपोर्ट से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में 2016 में उच्च शिक्षा के मामले में छात्र आगे हैं.
स्नातक के करीब 17 लाख विद्यार्थियों में से छात्रों की संख्या 8,80,701 है तो छात्राओं की तादाद 8,12,747 है. स्नातकोत्तर में छात्रों की तादाद 37,850 तो छात्राओं की तादाद 36,105 है. पीएचडी करने वालों में 4338 लड़के और 2012 लड़कियां हैं. उच्च शिक्षा में कार्यरत लड़कियों की तादाद लड़कों की तुलना में आधी है. जहां शिक्षकों की तादाद 31,875 है तो शिक्षिकाओं की तादाद 16,678 है. विशेषज्ञों के अनुसार लड़कियों की कम उम्र में शादी हो जाना प्रमुख कारण है. इसके अलावा राज्य के कॉलेज-विश्वविद्यालयों में पढ़ने के बाद कई छात्राएं स्नातकोत्तर के लिए दिल्ली, पुणे, मुंबई आदि का रुख करती हैं. लिहाजा उन्हें दूसरे राज्य की छात्राओं के तौर पर गिना जाता है.