कालियागंज : पौष संक्रांति का त्योहार पूरे देश में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. पंजाब में लोहरी तो दक्षिण भारत में पोंगल वहीं असम में बीहु एवं बिहार व पश्चिम बंगाल में इसे पौष संक्रांति या तिल संक्रांति कहा जाता है. इस उत्सव की तैयारी पूरे पश्चिम बंगाल के मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार पहले से ही शुरू कर देते हैं.
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पूरे देश के साथ उत्तर बंगाल में पौष संक्रांति की धूम
कालियागंज : पौष संक्रांति का त्योहार पूरे देश में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. पंजाब में लोहरी तो दक्षिण भारत में पोंगल वहीं असम में बीहु एवं बिहार व पश्चिम बंगाल में इसे पौष संक्रांति या तिल संक्रांति कहा जाता है. इस उत्सव की तैयारी पूरे पश्चिम बंगाल के मिट्टी के बर्तन बनाने वाले […]
पश्चिम बंगाल में इस दिन चावल आटा, खजूर गुड़ व नारियल आदि को मिलाकर पीठापूली बनाने का रिवाज है. इसके लिए मिट्टी के विशेष प्रकार के बरतन या सरा की जरुरत होती है. इसके लिए कुम्हार अपनी चाक पर लगभग एक महीने पहले से ही इस बर्तन को तैयार करने में जुट जाते है. कालियागंज के पालपाड़ा इलाके के कुम्हार लम्बे समय से विभिन्न आकार के सरा तैयार कर रहे हैं. जिसे संक्रांति के लिए विभिन्न बाजारों में बेचा जा रहा है. कालियागंज के पालपाड़ा में शहर के आसपास से भी थोक खरीददार इस बरतन को खरीदने के लिए आ रहे हैं. पौष संक्रांति के लिए कालियागंज में विशाल बाजार लगता है.
जहां चावल का आटा, पीठा बनाने के बतरत व गुड़ आदि बेचे जाते हैं. बाजारों में ये मिट्टी के बरतन 15 से 20 रुपए की दर से बिकते हैं. जहां से लोग इसे खरीदकर अपने घरों में पीठा बनाने के लिए ले जा रहे हैं. पौष संक्रांति को लेकर कालियागंज के बाजारों में काफी चहल-पहल रही. ज्यादातर लोगों को जमकर खरीददारी करते देखा गया.
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