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हरियाली बचाने के लिए प्रभात खबर की पहल, प्रदूषण देश के लिए बड़ा खतरा
कोलकाता. राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के अवसर पर शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें अतिथियों ने धरती को हरा-भरा रखने का संकल्प लिया. गौरतलब है भोपाल गैस त्रासदी में मारे गये लोगों की स्मृति में दो दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. भोपाल गैस त्रासदी […]
कोलकाता. राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के अवसर पर शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें अतिथियों ने धरती को हरा-भरा रखने का संकल्प लिया. गौरतलब है भोपाल गैस त्रासदी में मारे गये लोगों की स्मृति में दो दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. भोपाल गैस त्रासदी को विश्व के इतिहास में घटित सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदाओं में से एक माना जाता है. 2-3 दिसंबर 1984 की रात बहुत सारे लोगों की मृत्यु मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस के कारण हो गई थी. कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने अपना विचार व्यक्त किया, जो निम्न है-
डॉ अर्को प्रोभ जाना (आयुर्वेद चिकित्सक ) : भारतीय दर्शन क्षितिज-जल-पावक-समीरा के सिद्धांत को मानता है. इसके अनुसार ब्रह्मांड में स्थित सभी पदार्थों के मूल में पंच तत्व पृथ्वी (ठोस), आप (जल, द्रव), आकाश (शून्य), अग्नि (प्लाज़्मा) और वायु (गैस) हैं. यानी मनुष्य का शरीर जल, वायु, अग्नी, मिट्टी और आकाश से मिलकर बना है. मेरा मनाना है कि यदि इन पंच तत्वों में से कोई भी तत्व प्रदूषित होता है तो उसका असर मनुष्य के साथ ब्रह्मांड पर भी पड़ता है. वायु प्रदूषण का एक भयावह रूप पिछले दिनों दिल्ली में घने कोहरे के रूप में देखने को मिला. वायु और जल को प्रदूषण से बचाने में हमारा भारतीय दर्शन काफी सहायक हो सकता है. यज्ञ द्वारा वायु प्रदूषण जबकि मंत्रों चारण से वायु मंडल को प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है.
प्रह्लादराय गोयनका (चेयरमैन, गंगा मिशन) : गाय को रोटी, वृक्ष को पानी और चिट्टियों को भोजना डालना भारतीय परंपरा रही है. हमारे तीज-त्योहार भी मानव कल्याण के साथ प्रकृति संरक्षण से जुड़े हैं. इतिहास गवाह है कि धरती का पर्यावरण संरक्षण का आंदोलन सबसे पहले भारत में हुआ जो चिपको आंदोलन के रूप में प्रसिद्ध है. प्रकृतिप्रेमी 500 से ज्यादा आदिवासी पेड़ों से लीपट कर खड़े हो गये. जोधपुर के एक राजा ने जंगल काटने का आदेश दिया था. आदिवासी जंगल नहीं काटने देने पर अड़े रहे. राजा के आदेश मिलते ही सैनिक ने पेड़ों और उसके साथ लीपटे आदिवासियों को काटने में संकोच नहीं किया. पांच सौ से ज्यादा आदिवासी इस आंदोलन में मारे गए. भारतवासियों को इस आंदोलन को नहीं भूलना चाहिए. आज हमारी संस्था गंगा मिशन पिछले कई वर्षों से गंगा की साफ-सफाई से जुड़ी हुई है. हमने गत वर्ष एक लाख 20 हजार पौधे लगाये. इस वर्ष इतने पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. जल प्रदूषण रोकने के लिए गंगा में एक लाख मछलियों को छोड़ा गया है. साथ ही छह श्मशान घाट बनवाये गये, जहां प्रदूषण नियंत्रण के लिए गाय के गोबर से बने उपलों से दाह संस्कार किया जाता है.
श्यामू रजक (अध्यक्ष, स्टूडेंट्स एसोसिएशन टेक्नीकल एंड वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर, पूर्व रेलवे): प्रकृति ने हमें बगैर मांगे इतना कुछ दिया है, जिसकी हम अप्राकृतिक रूप से प्राप्त करने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. हम पर्यावरण का दोहन तो करते हैं लेकिन उसके संरक्षण के बारे में सोचना भी जरूरी नहीं समझते. मनुष्य के इसी स्वार्थ के कारण आने वाले समय में पृथ्वी पर भयंकर जल संकट होने वाला है. इसी समया को देखते हुए हमने जल संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक करने का कार्य शुरू किया. अपनी संस्था के माध्यम से हमने 110 तलाबों की सफाई का लक्ष्य रखा और उसे पूरा किया.
शंभू बरनवाल (अध्यक्ष, ई-हरियाली-बंगाल): आज सबसे बुरी स्थिति शहरों की है जहां धड़ल्ले से कंक्रीट के जंगल खड़े हो रहे हैं. एक तरफ पेड़-पौधों को काटने में तो हर कोई लगा है लेकिन कोई एक पौधा भी लगाने की जमहमत नहीं उठाना चाहता. हमारी संस्था ने प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत की है. मेरा मानना है कि इसमें सबसे ज्यादा अहम रोल बच्चों का हो सकता है. हमारी संस्था स्कूलों में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन करती है, जिसमें विजेता बच्चों को पुरस्कार के रूप में पौधे दिये जाते हैं.
प्रो. डॉ सुजय पालीत (एमडी, एनसीसी होमियोपैथी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल): आधुनिक जीवन शैली ने जहां प्रकृति को प्रदूषित किया है उसी प्रकार जीवन के हर क्षेत्र इससे प्रभावित हुए बगैर नहीं रह पाए हैं. जहां वायु ,जल व मिट्टी प्रदूषित हो रहे हैं, वहीं मनुष्य का मन भी प्रदूषित हुआ है. मनुष्य चाहता है कि पलभर में धनवान हो जाए. लग्जरी जीवन शैली के आदि हो चुके मनुष्य को यह ध्यान ही नहीं रहा कि यह जीवनशैली ही उसका और पृथ्वी का सबसी बड़ी दुश्मन है. आधुनिक जीवनशैली के कारण है आज मनुष्य असाध्य रोग का ग्रास बनता जा रहा है. मेरा मानना है कि इसका एक ही उपाय है कि आप आधुनिकता के साथ अपनी परंपरा से भी जुड़े रहें.
डॉ. एपी राय (प्रिंसिपल): प्रभात खबर समय-समय पर सामाजिक मुद्दों को उठाता रहा है. इस प्रकार के कार्यक्रमों से सामाजिक मुद्दों के प्रति समाज में जागरूकता आती है. आज प्रदूषण एक गंभीर समस्या है. प्रभात खबर ने जिस प्रकार से इस मुद्दे को अपने अखबार में स्थान दिया उससे काफी लोग जागरूक होंगे. प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रशासन की तरफ से काफी कानून बने लेकिन उसका सही रूप से प्रचार-प्रसार नहीं हुआ. सरकार की तरफ से भी ऐसा कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए.
प्रदीप्त साहा (संस्थापक, स्मोक फ्री) : आज पृथ्वी की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक वायु प्रदूषण है. जहां हर तरफ जहरीली गैस चिमनियों से निकल रही है. वहीं युवा सिगरेट की लत से ग्रस्त हैं. युवा पीढ़ी पूरी तरह से नशे के आगोश में है. इससे जहां उनकी कार्य छमता प्रभावित होती है वहीं वह विभिन्न रोगों से ग्रस्त होता जा रहा है. स्मोक फ्री कार्यक्रम के द्वारा हमारी संस्था युवाओं को धूमपान के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी देती है. हमारे कार्य के बेहतर परिणामों को देखते हुए केन्या सरकार ने भी अपने देश में धूमपान के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम चलाने का आग्रह किया है.
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