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आंदोलनकारी छठ व्रतियों पर कसा कानून का शिकंजा

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी में महानंदा में छठ पूजा आयोजन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के दिशा-निर्देश और दार्जिलिंग जिला प्रशासन के फरमान के बाद उपजे विवाद पर आंदोलनकारी हिंदी भाषी छठ व्रतियों पर अब कानून का शिकंजा सख्त होने लगा है. सिलीगुड़ी पुलिस ने तकरीबन 150 आंदोलनकारियों पर धारा 107 के तहत मामला दायर किया […]

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी में महानंदा में छठ पूजा आयोजन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के दिशा-निर्देश और दार्जिलिंग जिला प्रशासन के फरमान के बाद उपजे विवाद पर आंदोलनकारी हिंदी भाषी छठ व्रतियों पर अब कानून का शिकंजा सख्त होने लगा है. सिलीगुड़ी पुलिस ने तकरीबन 150 आंदोलनकारियों पर धारा 107 के तहत मामला दायर किया है.

यह सार्वजनिक होने के बाद छठ पर्व पर आस्था रखनेवाले सभी संप्रदायों में जहां पुलिस प्रशासन के विरुद्ध आक्रोश है वहीं, कानून की नजर में आये 150 आंदोलनकारी काफी डरे-सहमे हुए हैं. पुलिस प्रशासन की इस कार्रवाई के विरुद्ध सिलीगुड़ी में अब नये सिरे से आवाज बुलंद होने की संभावना है.

तृणमूल कांग्रेस (तृकां) नेता सह हिंदी भाषी समाज के युवा समाजसेवी राजेश राय का कहना है कि एनजीटी के दिशा-निर्देश और कानून का छठ पर आस्था रखनेवाला हर समाज और लाखों करोड़ों लोग सम्मान करते हैं. लेकिन शासन-प्रशासन का छठ पूजा को लेकर एक तरफा नजरिया काफी दुखदायी है. श्री राय ने दावे के साथ कहा कि शासन-प्रशासन अब दबंगयी पर उतारु है और हिंदी भाषी समाज को हासिये पर रखने की साजिश रच रही है. उनका कहना है कि जिला प्रशासन के फरमान के बाद छठ पूजा के आयोजन को लेकर छठव्रती पहले से ही काफी आतंकित है और अब पुलिस प्रशासन की करतूतों से हिंदी भाषी समाज सहम उठा है.
उन्होंने मां संतोषी छठ पूजा घाट पर एसजेडीए द्वारा बनाकर दिये गये घाट के लिए सभी श्रद्धालुओं की ओर से शासन-प्रशासन को तहे दिल से धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि एसजेडीए ने केवल बांस का बेड़ा बनाकर घाट छठ व्रतियों को देने के लिए कमेटी को सौंपा है. कमेटी कानून के दायरे में रहकर ही घाट को साज-सजावट कर कायदे के साथ छठ व्रतियों को सौंप रही है. इसके लिए कोई शुल्क निर्धारित नहीं की गयी है. उन्होंने कहा कि अगर पूरे सिलीगुड़ी में नदी पर छठ पूजा करने के लिए अगर किसी को घाट नहीं मिलती है, तो मां संतोषी छठ घाट पूजा कमेटी ने ऐसे पीड़ित छठ व्रतियों के लिए भी यहां वैकल्पिक व्यवस्था कर लिया है. जो पूरी तरह निःशुल्क है. दूसरी ओर कांग्रेस नेता राजेश यादव ने भी छठ पूजा को लेकर शासन-प्रशासन के सख्त रवैये पर नाराजगी व्यक्त की है. उनका कहना है कि लोक आस्था का यह महापर्व छठ पूरी तरह प्रकृति की उपासना से जुड़ा महापर्व है. इस पर्व से न तो नदी प्रदूषित होती है और न ही पर्यावरण प्रभावित होता है. हिंदी भाषी समाज के साथ शासन-प्रशासन जो भी कर रही है वह उचित नहीं है. उन्हें जो करना चाहिए वह नहीं कर रही. उनका का आरोप है कि छठ पूजा आयोजन को लेकर घाट का सजावट करने के नाम पर कई कथित कमेटियां पैसा उगाही का काम कर रही है. इस अवैध धंधे पर शासन-प्रशासन की कोई निगरानी नहीं है.
क्या कहना है एसडीओ का
सिलीगुड़ी महकमा के एसडीओ सिराज दानेश्वर का कहना है कि जेसीबी द्वारा नदी की सफाई करने की फिलहाल कोई शिकायत नहीं है. लेकिन उन्होंने घाट के नाम पर पैसा उगाही की शिकायतों पर विराम देते हुए कहा है कि अगर कोई पूजा के लिए सजा-सजाया घाट और समुचित इंतजाम के लिए अपनी स्वेच्छा से पूजा आयोजक कमेटियों को मामूली शुल्क देता है तो कोई गलत नहीं है. अगर कोई कमेटी गैर-कानूनी तरीके से पैसे उठाती है तो यह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.

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