कोलकाता: उच्चतम न्यायालय द्वारा ट्रांसजेंडरों (किन्नरों) को लिंग के तीसरे वर्ग के रूप में मान्यता दिये जाने से किन्नर समुदाय में उत्साह है. पश्चिम बंगाल के ट्रांसजेंडर समुदाय ने उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का स्वागत किया है.
अदालत ने अपने फैसले में समाज के इस तीसरे लिंग वर्ग को सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़ा मानते हुए नौकरियों में आरक्षण देने के लिए भी कहा है. ऐसे वर्ग की संख्या लगभग 20 हजार है. उनका मानना है कि इस फैसले से न केवल उनकी आजीविका में सुधार होगा, बल्कि अब वह राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा भी बन पायेंगे.
एसोसिएशन ऑफ ट्रांसजेंडर इन बंगाल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रंजीत सिन्हा का कहना है कि हमारा समुदाय शुरू से समाज का हिस्सा रहा है. महाकाव्यों व पौराणिक ग्रंथों में भी हमारा जिक्र है. यह मानव अधिकार की जीत है. 30 अप्रैल को ट्रांसजेंडर दिवस मनाया जाता है. इस फैसले के कारण यह वर्ष विशेष हो गया है.
अब हमें भी अन्य नागरिकों की तरह अधिकारी व सुविधाएं हासिल होंगे. ग्रुप कोलकाता रिश्ता नामक संस्था के सचिव संतोष कुमार गिरि ने कहा कि राजनीतिक दलों ने कभी भी हमें अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने की परवाह नहीं की है. अब इस फैसले के बाद हमें हमारा सम्मान वापस मिलेगा. हमारे समुदाय की समस्याओं के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी. स्वयंसेवी संस्था वार्ता के संस्थापक सदस्य ढाल ने कहा कि तीसरे लिंग के रूप में मान्यता मिलने का अर्थ यह नहीं है कि कोई उनके यौन अभिसंस्करण पर उंगली उठाये. चुनाव आयोग की तालिका में देश भर से 28314 ट्रांसजेडर अथवा किन्नरों ने अपना नाम दर्ज कराया है.