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कन्याश्री योजना से बढ़ रहा लड़कियों का आत्मविश्वास

कोलकाता: राज्य के सरकारी व सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में 2013 में शुरू की गयी कन्याश्री योजना में न केवल लड़कियां आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ रहा है. गरीब घर की कई लड़कियां अब स्कूल की शैक्षणिक व अन्य गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. स्कूल में किये गये सर्वे […]

कोलकाता: राज्य के सरकारी व सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में 2013 में शुरू की गयी कन्याश्री योजना में न केवल लड़कियां आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ रहा है. गरीब घर की कई लड़कियां अब स्कूल की शैक्षणिक व अन्य गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं.
स्कूल में किये गये सर्वे से यह तथ्य सामने आये हैं. इस बदलाव के बाद अब कक्षा 12वीं की छात्राएं कन्याश्री प्रकल्प को अपने प्रोजेक्ट वर्क के लिए टॉपिक के रूप में रख सकती हैं. उच्च माध्यमिक परीक्षा के पाठ्यक्रम में हेल्थ व फिजिकल एजुकेशन, बंगाली, इकोनोमिक्स, राजनीति विज्ञान, एजुकेशन, सोशियोलॉजी अथवा जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन जैसे विषयों में इसका टॉपिक रखा जा रहा है. उच्च माध्यमिक के पाठ्यक्रम में इन सभी विषयों में 20 अंकों का प्रोजेक्ट वर्क करना अनिवार्य होगा. उच्च माध्यमिक शिक्षा काउंसिल के एक अधिकारी का कहना है कि कन्याश्री की शुरुआत कक्षा 12वीं के पाठ्यक्रम में की गयी.
हाल ही में यूएन में इस योजना को पुरस्कार दिया गया, जिससे इसे एक अलग ही पहचान मिली है. यह योजना राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दिमाग की उपज है. इस योजना के जरिये वह गरीब तबके में नाबालिग लड़कियों की शादी पर रोकथाम लगाना चाहती हैं. लड़कियां पढ़ाई की ओर आगे बढ़ें, यही इसका मकसद है. इस योजना को हाल ही में यूएन में प्रस्तुत किये गये 62 देशों के 552 प्रोजेक्ट नोमीनेशन में से प्रथम स्थान हासिल हुआ.

इनोवेटिव पब्लिक सर्विस-श्रेणी में इस योजना को सम्मानित किया गया. यूएन के स्थायी डेवलपमेंट एजेंडा के क्रियान्वयन में इस योजना को काफी सहायक माना गया. इसके लिए राज्य की मुख्यमंत्री को जून माह में आयोजित एक समारोह में अवॉर्ड देकर सम्मानित किया गया. काउंसिल ने कन्याश्री योजना के तहत अलग-अलग विषयों की एक सूची तैयार की है. इसमें से कक्षा 12वीं के छात्र अपने प्रोजेक्ट वर्क के लिए एक टॉपिक चुन सकते हैं.

इस विषय में काउंसिल की सचिव महुआ दास ने कहा कि यह विकल्प लड़कियों में शिक्षा के प्रति एक नयी उमंग पैदा कर रहा है. आर्थिक मदद मिलने से उनका उत्साह बढ़ रहा है. पाठ्यक्रम में कुछ ऐसे विषय भी रखे गये हैं, जो लड़कियों में आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करेंगे. कई लड़कियों को कन्याश्री के तहत लाभ मिला है. एक अध्ययन से पता चला है कि कन्याश्री में लड़कियों को दी गयी सुविधा से उनके व्यक्तित्व में काफी सुधार आया है. बाल विवाह की रोकथाम को लेकर भी लड़कियों में काफी जागरूकता बढ़ी है. इस योजना से लगभग 40.33 लाख लड़कियां लाभान्वित हुई हैं. इस योजना के तहत 13 से 18 साल तक की लड़कियों को शिक्षा के लिए 750 रुपये दिये जाते हैं.

इसका लाभ लेनेवाली लड़कियों को 18 साल के बाद भी 25,000 रुपये की राशि (अविवाहित होने पर) शिक्षा के लिए प्रदान की जाती है. हाल ही में सरकार ने यह घोषणा की है कि सरकारी व सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में कक्षा पांच से लेकर आठवीं तक की छात्राओं को यूएन में इस योजना को मिली नयी पहचान के बारे में नये चैप्टर के जरिये पढ़ाया जायेगा, ताकि नयी लड़कियों में भी जानकारी बढ़े.

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