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सामने आये भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति, काली पूजा में पशुबलि बंद करने की मांग
खड़गपुर. धर्म, आस्था, ईश्वर व पूजा के नाम पर सबसे बड़ी कुप्रथा का नाम है पशुबलि. अपने स्वार्थ-सिद्धि के लिए अन्धविश्वासी या अंधी-आस्था में डूबे लोग आस्था या पूजा के नाम पर अबला पशुओं की नृशंस बलि चढ़ा देते हैं, जबकि धर्म व पूजा के नाम पर किसी भी पशु की बलि चढ़ाना कानूनन जुर्म […]
खड़गपुर. धर्म, आस्था, ईश्वर व पूजा के नाम पर सबसे बड़ी कुप्रथा का नाम है पशुबलि. अपने स्वार्थ-सिद्धि के लिए अन्धविश्वासी या अंधी-आस्था में डूबे लोग आस्था या पूजा के नाम पर अबला पशुओं की नृशंस बलि चढ़ा देते हैं, जबकि धर्म व पूजा के नाम पर किसी भी पशु की बलि चढ़ाना कानूनन जुर्म है.
भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति की ओर से पश्चिम मेदिनीपुर जिला प्रशासन से कालीपूजा में पशुओं की बलि नहीं चढ़ाये जाने की मांग की है. समिति की घाटाल शाखा के सचिव देवब्रत बनर्जी ने मंगलवार को घाटाल के एसडीओ, एसडीपीओ और घाटाल थाने से घाटाल थानांतर्गत गोपमहल इलाके में कालीपूजा में पशुओं की बलि बंद करने की मांग की है. देवब्रत ने कहा कि गोपमहल इलाके में तकरीबन सौ साल से दक्षिणीकाली की पूजा की जाती है. पूजा में पशुओं की बलि भी चढ़ाये जाने की प्रथा चली आ रही है. इस कालीपूजा में पशुबलि कानून बंद करने के लिए प्रशासन से लिखित अपील की गयी है.
उन्होंने कहा कि द प्रिवेंशन अंग क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट, 1960 के तहत धार्मिक अनुष्ठान में खुलेआम पशुबलि निषेध है. कोई भी प्रत्यक्षदर्शी उस बलि के खिलाफ पुलिस थाने में शिकयत दर्ज करवाता है तो उपासना-स्थल के उपासक सहित अनुष्ठान कमिटी के कार्यकर्ता एवं बलि-प्रथा से जुड़े लोगों को गिरफ्तार कर क़ानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, ओड़िशा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश एवं झारखंड में पशु की बलि चढ़ाना निषेध है. कोई भी प्रत्यक्षदर्शी इन प्रदेशों में किसी भी क्षेत्र में बलि या कुर्बानी होते देख उसके खिलाफ स्थानीय पुलिस ठाणे में प्रथिमिकी दर्ज करवा सकते ही.
तमिलनाडु सरकार द्वारा ‘तमिलनाडु एनिमल्स एंड बर्ड सेक्रिफाइस प्रिवेंसन एक्ट, 1950’ को प्रयोग कर पशुबलि को निषेध घोषित किया गया है.
इसके अलावा, वर्ष 2006 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विकाश श्रीधर शिरपुरकर की खंडपीठ ने एक अत्यंत महत्यपूर्ण फैसले में आदेश दिया था कि खुलेआम पशुओं की बलि नहीं दी जा सकती है क्योंकि अधिकतर लोग और बच्चे की बलि देख कर मानसिक रूप से आहत हो जाते हैं.
देवब्रत ने कहा कि पशुबलि का शिशुओं पर सबसे ज्यादा खतरनाक मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है. इसलिए प्रशासन से समिति की अपील है कि कालीपूजा में पशुबलि बंद किया जाये.
इधर, घाटाल के एसडीपीओ विवेक वर्मा ने बताया कि समिति की अपील के आधार पर घाटाल थाने के ओसी सुजय लायक को गोवमहल इलाके में पूजा में बलि बंद करने के विषय में जरूरी कदम उठाने के लिए निर्देश दिया गया है.
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