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मजदूरों के नहीं लौटने से खो गयी चाय की महक

कोलकाता. दुनियाभर में अपनी लाजवाब महक के लिए मशहूर दार्जिलिंग चाय की महक इन दिनों कहीं खो गयी है. इसकी साफ वजह यहां के पहाड़ी क्षेत्रों में लंबे समय तक चलने वाला बंद रहा है. जिसके चलते कई मजदूर काम छोड़ कर चले गये और अब बंद खत्म हो जाने के बाद भी चाय बागान […]

कोलकाता. दुनियाभर में अपनी लाजवाब महक के लिए मशहूर दार्जिलिंग चाय की महक इन दिनों कहीं खो गयी है. इसकी साफ वजह यहां के पहाड़ी क्षेत्रों में लंबे समय तक चलने वाला बंद रहा है. जिसके चलते कई मजदूर काम छोड़ कर चले गये और अब बंद खत्म हो जाने के बाद भी चाय बागान में काम करने वाले मजदूरों की एक बड़ी संख्या अब तक काम पर नहीं लौटी है.

दार्जिलिंग टी एसोसिएशन (डीटीए) के चेयरमैन बी मोहन ने बताया कि दार्जिलिंग चाय उद्योग में एक लाख से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं और इसमें करीब 60 प्रतिशत श्रमिक यहां बंद के खत्म हो जाने के बाद भी काम पर नहीं लौटे है.

उन्होंने कहा कि यहां के पहाड़ी इलाकों में मध्य जून से शुरु हुए बंद ने यहां के चाय उद्योग को लगभग खत्म करके रख दिया क्योंकि मजदूरों के काम छोड़ कर चले जाने से चाय के पौधों में झाड़ियां बढ़ गयीं और इन्हें समाप्त किए जाने की बहुत जरुरत है. उल्लेखनीय है कि इस बंद के चलते यहां दूसरे दौर की चाय की तुड़ाई लगभग पूरी तरह बरबाद हो गयी थी. श्री मोहन ने कहा कि मजदूरों के काम पर नहीं लौटने से झाड़ियों को हटाने का काम पूरा नहीं किया जा सकता और इस वजह से चाय की तुड़ाई भी प्रभावित हो रही है. एसोसिएशन का अनुमान है कि अच्छी कमाई की आशा में हो सकता है कि मजदूर या तो नेपाल चले गये हों या पश्चिम बंगाल के मैदानी इलाकों में पहुंच गये हों और उनका यहां लौटना अनिश्चित सा है. यह एक बहुत बड़ी समस्या है और बागान मालिकों को इस स्थिति से निपटने का प्रबंध करना होगा.

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