कोलकाता : आम तौर पर हम शिशु व बच्चों को दिये जाने वाले टीका से परिचित होते हैं, लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए वयस्क लोगों को भी टीकाकरण किये जाने की जरूरत है. उम्र के बढ़ने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती रहती है. उम्र के इस पड़ाव में लोग कई […]
कोलकाता : आम तौर पर हम शिशु व बच्चों को दिये जाने वाले टीका से परिचित होते हैं, लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए वयस्क लोगों को भी टीकाकरण किये जाने की जरूरत है. उम्र के बढ़ने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती रहती है. उम्र के इस पड़ाव में लोग कई जानलेवा बीमारियों के चंगुल में फंस सकते हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल करीब 205286 लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस की चपेट में आते हैं. वहीं 60 वर्ष की उम्र के बाद टेटनस की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है. व्यस्क उम्र में टीकाकरण से इन संक्रमण व बीमारियों से बचा जा सकता है. 19 वर्ष की अवस्था में इस तरह के टीका को लिया जा सकता है. हालांकि भारत में ऐसे 20 तरह के व्यस्क टीका को तैयार किया गया है, लेकिन व्यक्ति को सभी प्रकार का टीका नहीं दिया जा सकता है. इसके लिए विशेष पैमाना तैयार किया गया है,
जिसके अाधार पर टीका दिया जाता है. चिकित्सा विज्ञान में प्रगति के साथ, मौजूदा लोगों के लिए मजबूत वैकल्पिक टीके विकसित किये जा रहे हैं और उपलब्ध हो रहे हैं. इसका एक बहुत ही हालिया उदाहरण है ज़िका और ईबोला वायरस के लिए टीकाकरण.
वयस्कों को दिये जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण वैक्सीन:
इफ्यूएंजा वैक्सीन : यह फ्लू वायरस से रक्षा करता है. अक्तूबर-नवंबर महीने में इस टीका को प्राप्त करने का सबसे अच्छा समय है. इसे हर वर्ष लेना पड़ता है.
न्यूमोकॉकल वैक्सीन : यह निमोनिया से सुरक्षा प्रदान करता है. यह 65 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्ति को दिया जाता है. किसी चिकित्सक से संपर्क कर इस वैक्सीन को लेना चाहिए.
ह्यूमन पेपिलोमा वैक्सीन : यह टीका ग्रीवा कैंसर और जननांग में होने वाले कैंसर से बचाता है. 9 और 26 वर्ष की आयु के बीच पुरुषों और महिलाओं को दिया जा सकता है. 9-14 वर्ष की आयु वर्ग में, 6 महीने के अंतराल पर 2 टीका दी जाती है.
डीपीटी वैक्सीन : यह डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टेटनस बैक्टीरिया से बचाता है .
एमएमआर वैक्सीन : यह टीका मेसल्स, मंप और रूबेला वायरस से बचाता है.यह वयस्कों को दिया जाता है.
हेपेटाइटिस बी वैक्सीन : यह टीका हेपेटाइटिस बी वायरस से बचाता है जो कि यकृत कैंसर और पीलिया का सबसे आम कारण है.