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मुख्यमंत्री की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण : हाइकोर्ट

कोलकाता. राज्य सरकार के कर्मचारियों के डीए को लेकर एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी (‘घेऊ-घेऊ’) को कलकत्ता हाइकोर्ट ने अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया. सोमवार को कलकत्ता हाइकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे व न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने डीए को लेकर राज्य सरकार के कर्मचारी संगठन की ओर से दायर […]

कोलकाता. राज्य सरकार के कर्मचारियों के डीए को लेकर एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी (‘घेऊ-घेऊ’) को कलकत्ता हाइकोर्ट ने अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया. सोमवार को कलकत्ता हाइकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे व न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने डीए को लेकर राज्य सरकार के कर्मचारी संगठन की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि केवल घोषणा नहीं बल्कि अगले बुधवार के भीतर राज्य सरकार को डीए संबंधी घोषणा को लेकर अधिसूचना जारी करनी होगी.

राज्य की ओर से एडवोकेट जनरल किशोर दत्त ने कहा कि इसबीच मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के कर्मचारियों के बकाया डीए की घोषणा की है. इसके बाद ही खंडपीठ ने उक्त टिप्पणी की.

साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा की गयी घोषणा की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया. उल्लेखनयी है कि गत गुरुवार को नजरुल मंच में सरकारी कर्मचारी के एक यूनियन के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा था कि इतने आर्थिक संकट के बीच भी सरकार डीए बढ़ा रही है. लेकिन ‘घेऊ-घेऊ’ करने से लाभ नहीं होगा. वह इससे डरती नहीं. वह चाहती हैं कि सभी सरकारी कर्मचारियों को डीए मिले. डीए बढ़ाने की वजह से हर वर्ष साढ़े चार हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगले वर्ष के एक जनवरी से 15 फीसदी बकाया डीए का भुगतान होगा. बाकी 39 फीसदी बकाया डीए वर्ष 2019 के भीतर दिया जायेगा. मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी.

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