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किस को विश्व की पहली आदिवासी यूनिवर्सिटी के रूप में मान्यता

कोलकाता. कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (किस) आदिवासी बच्चों व युवाओं को शिक्षा के जरिये सशक्त करने के काम में लगा हुआ है. संस्थान से 37,000 छात्र जुड़े हुए हैं. इसमें 60 प्रतिशत लड़कियों की तादाद है. किस को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया है. यह यूनिवर्सिटी […]

कोलकाता. कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (किस) आदिवासी बच्चों व युवाओं को शिक्षा के जरिये सशक्त करने के काम में लगा हुआ है. संस्थान से 37,000 छात्र जुड़े हुए हैं. इसमें 60 प्रतिशत लड़कियों की तादाद है. किस को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया है. यह यूनिवर्सिटी अब न केवल भारत की बल्कि विश्व की पहली आदिवासी (ट्राइबल) यूनिवर्सिटी बन गयी है.

हालांकि इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी भी पहले से चल रही है, लेकिन इसमें सभी श्रेणी के छात्रों को दाखिला दिया जाता है. वहीं किस यूनिवर्सिटी विशेष रूप से आदिवासी छात्रों की पढ़ाई के लिए सक्रिय हैं. दे-नोवो श्रेणी के तहत किस यूनिवर्सिटी को एक डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में घोषित किया गया है.

यह जानकारी रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में किस व किट के संस्थापक व मेंटर प्रो. अच्युत सामंत ने दी. उन्होंने बताया कि इस यूनिवर्सिटी में 7 नये कोर्स शुरू किये गये हैं. इसमें ट्राइबल कल्चर, फिलोस्फी, ईको-स्प्रिचुअलिज्म, इंडीजेनॉस नोलेज, साइंस एंड टेक्नोलोजी, कम्पैरेटिव इनडिक स्टडीज व ट्राइबल राइट्स जैसे विभाग शामिल हैं. इसकी दो शाखाएं बंगलादेश में भी खोली जा रही हैं. ओड़िशा में भी शाखाएं खोली जा रही हैं. आनेवाले दशक में लगभग 2 लाख ऐसे पिछड़े बच्चों को शिक्षित करने व सशक्त करने का लक्ष्य है. भारत के 20 राज्यों में सरकार की मदद से किस की शाखाएं खोलने की योजना है. पश्चिम बंगाल में भी ऐसे ही संस्थान को शीघ्र शुरू करने पर रणनीति बनायी जा रही है.

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