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इंफोसिस की घोषणा के बाद दिखी उम्मीद की किरण

कोलकाता : आइटी क्षेत्र की अग्रणी कंपनी इंफोसिस का बंगाल में निवेश करना, राज्य के लिए उम्मीद की किरण है. वर्ष 2011 में तृणमूल कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद से यहां बड़े उद्योग का निवेश नहीं के बराबर हुआ है. खास कर आइटी कंपनियाें ने तो यहां निवेश करना ही लगभग बंद […]

कोलकाता : आइटी क्षेत्र की अग्रणी कंपनी इंफोसिस का बंगाल में निवेश करना, राज्य के लिए उम्मीद की किरण है. वर्ष 2011 में तृणमूल कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद से यहां बड़े उद्योग का निवेश नहीं के बराबर हुआ है. खास कर आइटी कंपनियाें ने तो यहां निवेश करना ही लगभग बंद कर दिया था. उसके पीछे सबसे बड़ा कारण पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आइटी कंपनियों को विशेष आर्थिक जोन (सेज) की मान्यता नहीं देना माना जा रहा है.
देर से ही सही, लेकिन मुख्यमंत्री ने मौजूदा हालात को देखते हुए इंफोसिस को यहां निवेश करने के लिए मना ही लिया. इंफोसिस द्वारा निवेश की घोषणा से राज्य के प्रति अन्य निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और वे भी यहां निवेश कर सकते हैं. हालांकि निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रत्येक वर्ष यहां ग्लोबल बिजनेस सम्मिट का आयोजन करती हैं. सिर्फ यही नहीं, निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगापुर, जर्मनी, लंदन, इटली व अमेरिका सहित अन्य देशों के दौरे पर भी जा चुकी हैं, लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिला. अब इंफोसिस ने यहां निवेश करने की घोषणा की है, इससे बंगाल को एक उम्मीद की किरण दिखी है.
इस संबंध में टीआरए रिसर्च के सीईओ एन चंद्रमौली ने कहा कि पश्चिम बंगाल में इंफोसिस द्वारा निवेश की घोषणा राज्य के लिए सबसे बड़ी खबर है. क्योंकि वर्तमान समय में बंगाल बहुत ही जटिल आर्थिक परिस्थिति से गुजर रहा है.इसलिए इस परिस्थिति में इंफोसिस जैसी कंपनी द्वारा यहां निवेश करने पर अन्य निवेशकों का विश्वास भी बंगाल के प्रति बढ़ेगा.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब स्वयं को बिजनेस फ्रेंडली नेता के रूप में प्रस्तुत करना चाहती हैं, क्योंकि सिंगूर की छाया अब तक बंगाल से हटी नहीं है. यही कारण है कि यहां वर्ष 2011 के बाद कोई बड़ा निवेश नहीं हुआ. इंफोसिस के लिए यह अच्छा मौका है कि वह अपनी योग्यता को प्रदर्शित कर सके. इंफोसिस के बाद टीसीएस सहित अन्य आइटी कंपनियां भी यहां निवेश कर सकती हैं. आइटी कंपनियों का निवेश यहां बढ़ने से सबसे बड़ा फायदा यहां की रीयल इस्टेट कंपनियों को होगा, क्योंकि इससे रीयल इस्टेट उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और इनकी मांग में वृद्धि होगी.
इस संबंध में डॉ सामंतक दास, मुख्य अर्थशास्त्री व राष्ट्रीय निदेशक- रिसर्च, नाइट फ्रैंक इंडिया ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कोलकाता आवासीय बाजार स्थिर बना हुआ है. कुछ चुनिंदा क्षेत्रों को छोड़ कर कई क्षेत्रों में इसकी मांग में गिरावट आयी है. इंफोसिस अगर बंगाल में निवेश करती है, तो उनके पीछे-पीछे अन्य आइटी कंपनियां भी बंगाल का रूख करेंगी, जो बंगाल के रीयल इस्टेट उद्योग के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. अभी डेवलपर्स और खरीदार किसी भी संपत्ति से संबंधित निर्णय लेने से परहेज कर रहे हैं. लेकिन अगले चार-पांच वर्षों में बंगाल में रीयल इस्टेट उद्योग का विकास काफी तेजी से होगा.
उन्होंने कहा कि आगामी वर्षों में राजारहाट क्षेत्र में आवास की मांग में सकारात्मकता बनाये रखने में समक्ष होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में काफी तेजी से ऑफिस-सेक्टर विकास और बुनियादी ढांचे के विकास क्षेत्र में महत्वपूर्ण योजनाएं क्रिन्यावित हो रही हैं.
वर्तमान में, राजारहाट में आइटी व आइटीइएस क्षेत्र की वृद्धि के लिए बुनियादी सुविधाओं काफी तेजी से विकास किया जा रहा है और अगले कुछ वर्षों में यह क्षेत्र हैदराबाद, पुणे और चेन्नई जैसे शहरों में आइटी क्षेत्रों में जिस प्रकार की सुविधाएं दी जाती हैं, उसमें यह सक्षम हो जायेगा.
आइटी कंपनियों के लिए िवशेष नीति तैयार कर रही सरकार
इस संबंध में विशेष बातचीत में राज्य के आइटी मंत्री ब्रात्य बसु ने बताया कि राज्य में आइटी कंपनियों को आमंत्रित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा नयी नीति बनायी जा रही है, जिसके तहत आइटी कंपनियों को विशेष प्रकार की छूट व ऑफर दिये जायेंगे. राज्य सरकार यहां आधारभूत सुविधाओं का विकास कर आइटी कंपनियाें को बुलाना चाहती है. राजारहाट-न्यूटाउन व सॉल्टलेक सेक्टर फाइव के अलावा राज्य के अन्य जिलों में आइटी हब बनाने की योजना बनायी है. राज्य सरकार ने कल्याणी में 50 एकड़ जमीन पर एनालिटिक्स सिटी, नैहाटी में आइओटी कलस्टर व दक्षिण 24 परगना जिले के फलता में आइसीसी हेल्थ केयर क्लस्टर का निर्माण किया जायेगा.

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