कोलकाता. आइसीएसइ काउंसिल द्वारा प्री-स्कूल से कक्षा 8वीं तक के लिए बनाये गये नये करीक्युलम से महानगर के आइसीएसइ स्कूल प्रिंसिपल काफी संतुष्ट हैं. कुछ प्रिंसिपलों का कहना है कि इस संशोधन से पाठ्यक्रम में समानता बनी रहेगी. साथ ही स्कूलों में लिये जा रहे एप्टीट्यूट टेस्ट से पाठ्यक्रम में भी मूल्यांकन की दृष्टि से समानता बरकरार रहेगी. हालांकि कुछ स्कूल अपने निजी स्वार्थ के कारण इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन आगे जाकर इस संशोधन से छात्रों का लाभ होगा.
इस विषय में सेन्ट्रल मॉडर्न स्कूल के प्रिंसिपल नवारुण दे का कहना है कि काउंसिल प्री-स्कूल से लेकर कक्षा 8वीं तक के पाठ्यक्रम में बदलाव की है, इससे इस बात का मूल्यांकन किया जा सकेगा कि बच्चे अब तक क्या सीख पाये हैं अथवा टीचर ने स्कूल में अब तक क्या पढ़ाया है. साथ ही इस नये करीक्युलम से काउंसिल द्वारा एक ही एप्टीट्यूट टेस्ट लिया जायेगा.
इसका भार काउंसिल द्वारा ही वहन किया जायेगा. कुछ स्कूल एप्टीट्यूट टेस्ट बाहर की एजेंसी के माध्यम से करवाते हैं, इससे छात्रों पर भार पड़ता है. काउंसिल का यह निर्णय उचित है. आइसीएसइ बोर्ड से पढ़ रहे बच्चों को इससे काफी फायदा होगा. उनकी योग्यता का सही मूल्यांकन भी होगा व एकेडमिक सुधार भी होगी. उल्लेखनीय है कि राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने आइसीएसइ काउंसिल के मुख्य कार्यकारी व सचिव जी. एराथून को संबोधित करते हुए पत्र लिखा है कि उनके द्वारा तैयार प्री-स्कूल से लेकर आठवीं तक का नया करीक्युलम राइट टू एजुकेशन एक्ट की धारा 29 का उल्लंघन है. एक्ट के सेक्शन 29 के खंड 2 में साफ ताैर पर यह कहा गया है कि प्रारम्भिक स्कूल करीक्युलम केवल राज्य सरकार द्वारा अधिकृत एकेडमिक बॉडी द्वारा ही तैयार किया जायेगा. एक अधिसूचना द्वारा इसकी जानकारी राज्य सरकार को पहले देनी होगी. काउंसिल का यह फैसला एक्ट के सेक्शन 29 का उल्लंघन है. मंत्री ने इस पत्र में लिखा है कि पाठ्यक्रम में कोई भी बदलाव, तभी संभव है जब राज्य सरकार इसका अनुमोदन दे. इस मामले में ऐसा नहीं होना चाहिए. बोर्ड द्वारा अब 5वीं व 8वीं में परीक्षा ली जायेगी.