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दाखिले के लिए स्कूल बना रहे अलग वेबसाइट

कोलकाता. निजी स्कूलों पर निगरानी के लिए बनाये गये सेल्फ-रेग्युलेशन कमीशन ने सब कमेटी को यह आदेश दिया था कि वे स्कूल की गतिविधियों पर नजर रखें. कमेटी के सदस्य स्कूल का दाैरा करने के साथ इस बात की भी जांच करेंगे कि स्कूलों ने अलग से वेबसाइट बनायी है कि नहीं. इस वेबसाइट पर […]

कोलकाता. निजी स्कूलों पर निगरानी के लिए बनाये गये सेल्फ-रेग्युलेशन कमीशन ने सब कमेटी को यह आदेश दिया था कि वे स्कूल की गतिविधियों पर नजर रखें. कमेटी के सदस्य स्कूल का दाैरा करने के साथ इस बात की भी जांच करेंगे कि स्कूलों ने अलग से वेबसाइट बनायी है कि नहीं. इस वेबसाइट पर सभी स्कूलों को अपनी समस्त जानकारियां डालनी होंगी जिसमें फीस के ब्योरे से लेकर अन्य सभी जानकारियां शामिल होंगी. राज्य सरकार के इस निर्णय पर निजी स्कूलों की अलग-अलग प्रतिक्रिया है.

इस मामले में कुछ प्रिंसिपलों का कहना है कि फीस संरचना ठीक होनी चाहिए लेकिन निजी स्कूलों के कामकाज में ज्यादा दखल ठीक नहीं है. अलग से कमेटी बनाने से शिक्षा की गुणवत्ता पर भी इसका असर पड़ेगा. जो लोग डोनेशन ले रहे हैं, उनके खिलाफ सरकार कार्रवाई करे, लेकिन सबको कटघरे में खड़ा करना ठीक नहीं है. वहीं कुछ सीबीएइस स्कूलों के शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय का स्वागत किया है.

इस मामले में बिरला हाइ स्कूल की प्रिंसिपल मुक्ता नैन का कहना है कि फीस को लेकर एक पैरामीटर होना चाहिए, जिससे मध्यवर्गीय परिवार को भी अपने बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाने का माैका मिल सके. हमारे यहां पहले से ही यह नियम लागू है. सेल्फ रेग्युलेशन सब-कमेटी की एक सदस्य ने बताया कि 10-12 दिनों में कमेटी की दूसरी बैठक विकास भवन में होगी. इसमें सदस्यों की राय ली जायेगी. इसके बाद ही आगे की रणनीति तय होगी. एक एकेडमिक सलाहकार का कहना है कि ऑडिट-रिपोर्ट के लिए स्कूलों को बार-बार बुलाना ठीक नहीं है. स्कूल जो ट्रस्ट चला रहे हैं, उनको पहले ही अपने खर्चे व अन्य ऑडिट रिपोर्ट जमा करवानी होती है. फिर से कमीशन में जमा करवाने का कोई मतलब नहीं है. स्कूलों को चार या पांच श्रेणियों में बांटा जाना चाहिए. इसी के अनुसार कमेटी को मानदंड तय करने चाहिए.

बैंक में फीस जमा करने के मंत्री के फरमान से प्रिंसिपल असंतुष्ट : कुछ कॉलेजों में टीएमसी छात्र यूनियन द्वारा घूस लेने की घटना के बाद राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने एक नया फरमान जारी कर दिया है. मंत्री ने कहा है कि स्नातक छात्रों को अगले साल से एडमिशन फीस बैंक में जमा करनी होगी. कॉलेज में फीस नहीं जमा होगी. सरकार के इस आदेश के बाद कॉलेज प्रिंसिपलों में असंतोष पैदा हो रहा है. उनका कहना है कि कॉलेज शिक्षा के प्रांगण हैं. यहां छात्रों को अपनी सुविधा के अनुसार कॉलेज कैंपस में ही फीस जमा करनी चाहिए. वे बैंक में क्यों जायेंगे. अगर सरकार भ्रष्टाचार रोकना चाहती है, तो इसके दूसरे कई विकल्प हैं. सरकार उन पर गाैर करे. साधारण छात्रों से पैसा वसूल कर रही है या उनको धमकाया जा रहा है, तो इस पर अंकुश लगाना सरकार का दायित्व है.

सत्तारूढ़ पार्टी को अपनी छात्र यूनियन की गतिविधियों पर नजर रखनी होगी. दक्षिण कोलकाता के एक कॉलेज प्रिंसिपल का कहना है कि दाखिले में पारदर्शिता के लिए कॉलेजों को बैंक पर क्यों निर्भर रहना पड़ेगा? इसकी एक दूसरी मजबूत व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए. कॉलेज कैंपस में ही बैंक की व्यवस्था करें या सेंट्रली काउंसेलिंग की व्यवस्था कैंपस में ही करें, जिससे किसी को भी पैसा वसूलने का माैका नहीं मिलेगा. छात्र अपने कॉलेज में शांति से पढ़ पायेंगे व दाखिला ले पायेंगे. उच्च शिक्षा मंत्री के नये फरमान को लेकर कॉलेज प्रिंसिपल बहुत जल्दी एक बैठक करेंगे. उनका कहना है कि प्रिंसिपलों के काम करने का भी अपना एक दायरा है. वे यूनियन के मामले में छात्रों से ज्यादा कुछ नहीं कह सकते हैं.

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