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बोनस मद में इसीएल करेगी 360 करोड़ का भुगतान
आकलन से अधिक राशि पर समझौता, 60 करोड़ के लिए माथापच्ची विभिन्न बिजली कंपनियों पर कोयला सप्लाइ मद में दो हजार करोड़ बकाया सांकतोड़िया. इसीएल के कार्मिक निदेशक केएस पात्र ने कहा कि इसीएल कर्मियों के बोनस भुगतान में कंपनी को 360 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा है. इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति चरमरा […]
आकलन से अधिक राशि पर समझौता, 60 करोड़ के लिए माथापच्ची
विभिन्न बिजली कंपनियों पर कोयला सप्लाइ मद में दो हजार करोड़ बकाया
सांकतोड़िया. इसीएल के कार्मिक निदेशक केएस पात्र ने कहा कि इसीएल कर्मियों के बोनस भुगतान में कंपनी को 360 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा है. इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति चरमरा गयी है. कोयला कर्मियों को इस बार 54 हजार रुपया करके भुगतान करना है.
65,300 कर्मियों को बोनस देना है. यह रकम गत वर्ष से 55 सौ रुपये अधिक है. कार्मिक निदेशक श्री पात्र ने कहा कि बोनस को लेकर कंपनी ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी. परंतु इतनी बड़ी राशि के बोनस मद में भुगतान की संभावना नहीं थी. इसके लिये तीन सौ करोड़ रुपया अलग से जमा रखआ गया था. 60 करोड़ रुपये की अतिरिक्त व्यवस्था करनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि विभिन्न बिजली कंपनियों पर कंपनी का दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि बकाया है.
अगर इस राशि का भुगतान कंपनी को मिल जाता तो कंपनी की वित्तीय स्थिति में काफी सुधार होता और बोनस के भुगतान के लिए कोई परेसानी नहीं होती. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष कंपनी को 48,500 रुपये का भुगतान प्रत्येक कोयला कर्मियों को करना पड़ा था. जबकि वर्ष 2014 में यह राशि 40 हजार रुपये थी. वर्ष 2014 एवं 2016 के बीच चौदह हजार रुपये अधिक राशि का भुगतान बोनस मद में करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि सीआइएल की सभी अनुषांगिक कोयला कंपनियों में सबसे बेहतर प्रदर्शन इसीएल का है. सभी कंपनियों को बोनस मद में भुगतान करने के लिये जमा पूंजी से निकासी करनी पड़ रही है. वैसी स्थिति फिलहाल इसीएल के सामने नहीं आयी है. ज्ञात हो कि कोयला मजदूरों को वर्ष 2009 में 10500 रुपया, वर्ष 2010 में 17 हजार रुपये, वर्ष 2011 में 21 हजार रुपये, वर्ष 2012 में 26 हजार रुपये, वर्ष 2013 में 31500 रुपये, 2014 में 40 हजार रुपये तथा वर्ष 2015 में 48500 रुपया का भुगतान करना पड़ रहा है.
हालांकि बोनस मद में 54 हजार रुपये के भुगतान पर सहमति बनने के बाद भी कोयला कर्मियों में खुशी नहीं है. उनका कहना है कि कम से कम 70 हजार रुपया बोनस मिलना चाहिए था. कुछ मजदूरों का कहना है कि बोनस काफी अच्छा रहा है. जितना आशा रखें थे, उतना भले ही नहीं मिला है फिर भी इसमें कोई नुकसान नहीं है. इधर श्रम संगठन के प्रतिनिधियों का कहना है कि ट्रेड यूनियनों के दबाब पड़ने के कारण इतनी भारी भरकम पैसा कंपनी को देना पड़ रहा है. एकजुटता के कारण ही अधिक बोनस लेने में सफलता मिली है. मजदूर एकता के आगे प्रबंधन को झुकना पड़ा.
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