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भाजपा पार्षद ने किया विरोध प्रदर्शन
दुखद. आसनसोल को सर्वाधिक गंदा शहर का धब्बा लगने के बाद भी चमकी राजनीति मेयर जितेंद्र तिवारी से मांगा इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण केंद्रीय राज्यमंत्री बाबुल, विधायकों को भी माना दोषी आसनसोल : केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की क्यूसीआइ के सव्रे में आसनसोल शहर को पूरे देश में सर्वाधिक दूसरा गंदा शहर घोषित किये जाने […]
दुखद. आसनसोल को सर्वाधिक गंदा शहर का धब्बा लगने के बाद भी चमकी राजनीति
मेयर जितेंद्र तिवारी से मांगा इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण
केंद्रीय राज्यमंत्री बाबुल, विधायकों को भी माना दोषी
आसनसोल : केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की क्यूसीआइ के सव्रे में आसनसोल शहर को पूरे देश में सर्वाधिक दूसरा गंदा शहर घोषित किये जाने के बाद राजनीति तेज हो गयी. भाजपा पार्षद इम्यानुल व्हीलर ने अपने 21 नंबर वार्ड के निवासियों के साथ बुधवार को नगर निगम कार्यालय में प्रदर्शन किया तथा मेयर जितेन्द्र तिवारी से स्पष्टीकरण मांगा.
उन्होंने गांधीगिरी दिखाते हुए स्थानीय सांसद सह केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो, मेयर श्री तिवारी, आसनसोल उत्तर के विधायक सह श्रम मंत्री मलय घटक, आसनसोल दक्षिण के विधायक तापस बनर्जी को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी. पार्षद श्री व्हीलर ने बताया कि नगर निगम चुनावों के पहले केंद्रीय मंत्री श्री सुप्रियो, विधायक श्री बनर्जी, श्रममंत्री श्री घटक और मेयर श्री तिवारी ने राजनीति से उपर उठ कर विकास की राजनीति करने की घोषणा की थी.
फिर भी शहर के विकास में राजनीति की गयी और शहर को सर्वे में कलंकित होना पड़ा. इसकी जिम्मेवारी इन नेताओं को लेनी होगी. उन्होंने कहा कि मांगने पर भी वार्ड में सफाई के लिए पर्याप्त संख्या में सफाई कर्मी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं.
इस मामले में बोरो चेयरमैन किसी प्रकार क ा सहयोग नहीं कर रहे हैं. दूसरे राज्यों में रह रहे रिश्तेदार और मित्र बोल रहे हैं कि आप कैसे इतने गंदे शहर में रह रहे हैं? इससे हमें शर्म बोध हो रहा है. नेतृत्व करनेवालों में जय दत्ता, सोमनाथ राय, सुदीप मित्र, सूब्रत दास आदि शामिल थे. प्रदर्शन के दौरान मेयर श्री तिवारी, उप मेयर तबस्सुम आरा ने कार्यालय परिसर में आकर प्रदर्शनकारियों से ज्ञापन लिया. श्री तिवारी ने उन्हें संबोधित भी किया. उन्होंने स्वीकार किया कि सव्रे के नतीजों से पूरे आसनसोल शहर के निवासी आहत हैं.
लेकिन इसक ेलिए उनके साथ-साथ केंद्रीय मंत्री श्री सुप्रियो भी समान रुप से दोषी है. स्वच्छ भारत के नाम पर केंद्र सरकार ने सेवा कर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि की है. यह राशि केंद्र सरकार के पास जा रही है. उसे रोक कर निगम प्रशासन को उपलब्ध कराना चाहिए. इससे स्वच्छ शहर बनाने के मिशन को और तेजी मिलेगी. उन्होंने कहा कि शहर को साफ रखने में इसके शहरवासियों का भी सहयोग जरूरी है.
न हों हताश, करें चुनौती स्वीकार हालात बदलने की
स्वच्छ भारत अभियान के तहत हुए सव्रे के बाद देश के शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में आसनसोल (नगर निगम इलाका) को सबसे ‘दूसरा गंदा शहर’ करार दिया गया है. क्या यह हम आसनसोलवासियों के लिए शर्म की बात नहीं है? आसनसोल नगर निगम इलाके का शायद ही कोई प्रबुद्ध व संवेदनशील निवासी होगा, जिसे इस खबर ने आहत न किया हो.
तो रास्ता क्या है? पश्चिम बंगाल में राजनीति अधिक प्रभावी होती है. हो सकता है कि इस कारण इस मुद्दे पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो जाये. कुछ लोग इसे महज प्रशासनिक या सरकारी विफलता के रुप में चिन्हित कर खुद को अपने दायित्वों से मुक्त कर लें. लेकिन यह सवाल इतने सीमित दायरे तक सिमटा नहीं है. जरूरत है कि प्रशासनिक दायित्वों के साथ -साथ हर नागरिक अपने कर्त्तव्यों के प्रति भी जागरूक हो. क्या इस शर्मनाक स्थिति पर हम आसनसोल वासी यूं ही खामोश रहेंगे? या फिर इस काला धब्बा को धोने के लिए आगे आयेंगे?
अपने स्तर से अपने मोहल्ले, अपनी कॉलोनी, अपने शहर को साफ करने व साफ रखने की कोशिश करेंगे? ऐसे कई सवालों के बीच इसे एक चुनौती के रूप में लेने की जरूरत है. आसनसोल को स्वच्छ शहर बनाने की मुहिम शुरू की जानी चाहिए. इस मुहिम को तब तक जारी रखा जाना चाहिए, जब तक कि आसनसोल के दामन पर लगे ‘गंदा शहर’ का धब्बा मिट नहीं जाता. यह संकल्प लेना होगा कि देश के टॉप दस स्वच्छ शहरों में हमारा प्यारा शहर आसनसोल अगले सव्रे में सूचीबद्ध होगा.
हम गर्व करते हैं कि आसनसोल को देश में कोयला के रुप में ऊर्जा देने का जनक कहा जाता है. हमने कई असंभव से लगनेवाले कार्यो को करके दिखाया है. धरती का सीना चीर कर कोयला निकालने, लोहा को पिघला कर संसाधन विकसित करनेवाले तथा पिछले शहर को विश्व के सर्वाधिक 50 विकसित शहरों में शामिल करनेवाले यदि ठान लें तो फिर लक्ष्य हासिल करने में संशय कहा रह जाता है.
अपनी जिम्मेवारी समझे, बेहतर होगा कल
स्वच्छ भारत मिशन 2016 के सव्रेक्षण में आसनसोल को सबसे गंदा दूसरा शहर घोषित करने के बाद अब इसे साफ करने की जिम्मेवारी भी शहर के निवासियों की ही है. नगर निगम प्रशासन संसाधन उपलब्ध कराये.
जगह-जगह डस्टबिन रकें. डंपिंग यार्ड बनाये. उसके निष्पादन के लिए यथाशीघ्र संयंत्र लगाये. नागरिक भी जागरुक हों. उन्हें पॉलिथीन का उपयोग बंद करना होगा. इसका विकल्प तैयार करना होगा. घर से बाजार निकलत ेसमय झोला लेकर निकलने की आदत डालनी होगी. किसी को गंदगी फेंकते देंखे तो विनम्रतापूर्वक मना करना होगा. तभी यह स्थिति बदलेगी.
तो अच्छे नागरिक कहलायेंगे हम
– घर से झोला लेकर बाजार जायें.
– पॉलिथीन के उपयोग से बचें.
– घर का कू ड़ा निर्देशित स्थान पर रखे.
– कूड़ादान न हो तो खुद मिल कर एक जगह नियत करें.
– अपने घरों की नालियों को सड़क पर न बहनें दें.
– नालिया और ड्रेनेज बनाते समय जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था करें.
– डिब्बा व पैकेटबंद खाद्य पदार्थो के उपयोग के बाद नियत जगहों पर ही रखें.
– अपने स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, अन्य स्थानों व गली मोहल्लों में सप्ताह में एक बार सफाई अभियान चलायें.
– श्रम दान से इलाका सफाई की संस्कृति विकसित करें.
– जहां-तहां खुले में शौच पर रोक लगाने की पहल करें.
– दुकानदार सड़क पर जहां-तहां गंदगी न फेंके.
– दुकानों का पानी सड़कों पर न बहायें.
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