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सीजन की शुरुआत में ही ‘आम’ बना हुआ है ‘खास’ बाजार में

आसनसोल : आम का शाब्दिक अर्थ होता है- सामान्य. सामान्य यानी, सब जगह विराजमान. आम में भी कुछ ऐसी ही खासियत है. यह न सिर्फ स्वाद का राजा होता है, बल्कि उत्पादकता के मामले में भी कोई दूसरा फल इसे टक्कर नहीं दे पाता. इसलिए, यह सर्व सुलभ भी हो जाता है. शायद इसी कारण […]

आसनसोल : आम का शाब्दिक अर्थ होता है- सामान्य. सामान्य यानी, सब जगह विराजमान. आम में भी कुछ ऐसी ही खासियत है. यह न सिर्फ स्वाद का राजा होता है, बल्कि उत्पादकता के मामले में भी कोई दूसरा फल इसे टक्कर नहीं दे पाता. इसलिए, यह सर्व सुलभ भी हो जाता है.
शायद इसी कारण से इसका नाम आम रखा गया होगा. हालांकि, अभी सीजन की शुरुआत है, तो कीमत ने आम को खास बना रखा है. भारत क दक्षिण इलाकों में पैदा होने वाले आम की वेरायटियों का अभी बाजार पर कब्जा है. इनकी वेरायटी के साथ-साथ उपलब्धता भी कम है. इसके कारण दाम तेज है. आम के थोक व्यवसायी मोहम्मद यासीन ने कहा कि वर्तमान समय में मार्केट में सिंदुरी (गुलाब खास), बैंगल फल्ली, पैरी व अल्फांसों उपलब्ध है. लोकल, बिहार व अन्य राज्यों के आम की प्रजाति की आमद अभी नहीं हुई है. मौजूदा आम की दर80 रुपये प्रति किलो से शुरू होती है.
मिलने वाले आम व खासियत
अल्फांसो: महाराष्ट्र के रत्नागिरी इलाके से यह वेरायटी पूरे देश में जाती है. यहीं से इसे विदेश में भी भेजा जाता है. व्यवसायी सुलतान अहमद बताते हैं कि यह दूसरे आम की तुलना ज्यादा रसीला व स्वादिष्ट होता है. इसके कारण ही इसकी मांग और कीमत ज्यादा होती है.
सिंदुरी: इस आम को गुलाब खास के नाम से भी जाना जाता है. व्यवसायी राजू बताते हैं कि देखने में पीला व ऊपरी हिस्से में सुनहरे लाल रंग के कारण ही इसे सिंदुरी का नाम दिया गया है. यह मद्रास क्षेत्र से शहर में आता है.
बैंगल फल्ली: चटक पीले रंग व बैंगन की तरह ही दिखायी देने के कारण इसे बैंगल फल्ली कहा जाता है. इसकी मिठास व आकार के कारण लोग इसे ज्यादा पसंद करते हैं. यह भी दक्षिण भारत से ही कोयलांचल में आता है.
पैरी: पीला रंग व बैंगन फल्ली से छोटे आकार में पाये जाने वाले इस फल को पैरी के नाम से जाना जाता है. इसकी गुठली दूसरे आमों की तुलना में छोटी होती है. यह दक्षिण भारत की सौगात है.
बनते हैं कई उत्पाद भी
आम की उपयोगिता इसके बहुविधि उपयोग में भी है. इससे मैंगो जूस के साथ-साथ जैम, जेली, आइस्क्रीम, कैंडी आदि भी बनाये जा सकते है. इससे अमावट बनाकर लोग वर्ष भर तक उपयोग में लाते हैं.

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