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वार्ड 23 के मांझीपाड़ा के निवासियों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं

आसनसोल : 23 नंबर वार्ड अंतर्गत मांझी पाड़ा व आसपास के इलाके में रहने वाले नागरिक गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करनेवाले नागरिकों, असहाय वृद्धा व विधवा को सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन तथा अन्य सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है. उनका आरोप है कि उन्होंने कई बार नेताओं व जन प्रतिनिधियों के घर […]

आसनसोल : 23 नंबर वार्ड अंतर्गत मांझी पाड़ा व आसपास के इलाके में रहने वाले नागरिक गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करनेवाले नागरिकों, असहाय वृद्धा व विधवा को सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन तथा अन्य सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है. उनका आरोप है कि उन्होंने कई बार नेताओं व जन प्रतिनिधियों के घर से लेकर कार्यालयों तक गुहार लगायी है, लेकिन अब तक निराशा ही हाथ लगी है. हर स्तर से अब तक आश्वासन ही मिलता रहा है.
शिखा हेम्ब्रम ने कहा कि इलाके में रहने वाले ज्यादातर निवासियों की आर्थिक स्थिति दयनीय है. मजदूरी कर किसी तरह परिजनों का पेट पालते हैं. पहले एक-दो बार सरकारी स्तर से चावल, गेंहू मिलता था, लेकिन अब कुछ नहीं मिलता है. नेताओं से बात करने पर वे सिर्फ आश्वासन ही देते है. इलाके में पेयजल की समस्या है. दो चापानल है और दोनों पिछले काफी समय से खराब पड़े हुए है.
सविता मुखर्जी ने कहा कि इलाके में पेयजल का घोर संकट है. पानी के नल खुलने और बंद होने का कोई निर्धारित समय नहीं है. इलाके की आबादी के अनुपात में नलों की संख्या काफी कम है. इस कारण कुछ लोगों को पानी मिलता कुछ को खाली बरतन लेकर घर जाना पड़ता है.
पूजा हेम्ब्रम ने कहा कि पहले उनलोगों को पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति मिलती थी, लेकिन अब नहीं मिल रही है. काफी प्रयास के बाद भी आर्थिक रूप से कमजोर छात्र इन सुविधा से वंचित हैं.
आशिष प्रसाद ने कहा कि पिछले 10 माह से इलाके में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है. पेयजल का घोर संकट है. नेताओं से शिकायत करने पर उनका कहना होता है कि उनलोगों का पावर खत्म हो गया है. सीधा नगर निगम में जा कर शिकायत करें. लेकिन वहां भी जाने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. समय पर सफाई नहीं होने से गंदगी का अंबार लग गया है.
संतोषी देवी ने कहा कि वे लोग मेहनत-मजदूरी कर के काफी मुश्किल से घर चलाते हैं. नेताओं ने कहा था कि उनलोगों का बीपीएल कार्ड बना दिया जायेगा, जिससे रियायती दर में खाद्य सामग्री मिलेगी. लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी उनलोगों का बीपीएल कार्ड नहीं बना है. पानी की समस्या है. इलाके में एक तालाब है, वह भी अभी से सूखने लगा है. तालाब सूख जाने से काफी परेशानी होगी.
बुजुर्ग विधवा दासी बाउरी ने कहा कि वह दूसरों के घरों में काम कर के जीवन यापन करती है. तीन साल पहले घर बनाने के लिए 10 हजार रुपये लिया था. आधा घर बना है और आधा उसी तरह पड़ा हुआ है. पूछने पर कहा जाता है कि समय आने पर बन जायेगा, लेकिन वह समय कब आयेगा, इसकी जामकारी किसी को नहीं है. काफी प्रयास करने के बाद भी उन्हें विधवा पेंशन भी नहीं मिला.
जाली सोरेन ने कहा कि वह दैनिक मजदूर है. तीन बच्चे हैं. सरकार की ओर से तरह-तरह के आश्वासन दिये गये, लेकिन मिलता कुछ नहीं है. निगम की ओर से भी किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिलता है. बच्चों को पढ़ाना और पालन-पोषण काफी मुश्किल हो गया है.
सरस्वती सोरेन ने कहा कि शहर में रहने के बावजूद इस इलाके में रहने वाले नागरिक बिजली के सुख से वंचित हैं. बिजली कनेक्शन लेने के लिए जाते हैं तो तरह-तरह के कागजात मांगे जाते हैं. कागजात नहीं रहने के कारण उनलोगों को बिजली का कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है. इससे काफी परेशानी होती है. रात को बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.

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