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किसी किसान ने नहीं की आत्महत्या आलू खेती के कर्ज के कारण
बर्दवान : बर्दवान जिला प्रशासन ने दावा किया है कि आलू की लाभकारी कीमत न मिलने के कारण जिले के सात किसानों ने आत्महत्या नहीं की है. उनके आत्महत्या करने के अन्य कारण रहे हैं. इस संबंध में अतिरिक्त जिलाशासक (पंचायत) ने राज्य मुख्यालय को रिपोर्ट प्रेषित की है. सनद रहे कि आत्महत्या करनेवाले किसानों […]
बर्दवान : बर्दवान जिला प्रशासन ने दावा किया है कि आलू की लाभकारी कीमत न मिलने के कारण जिले के सात किसानों ने आत्महत्या नहीं की है. उनके आत्महत्या करने के अन्य कारण रहे हैं. इस संबंध में अतिरिक्त जिलाशासक (पंचायत) ने राज्य मुख्यालय को रिपोर्ट प्रेषित की है. सनद रहे कि आत्महत्या करनेवाले किसानों के परिजनों ने दावा किया था कि आलू की खेती के लिए लिये गये कर्ज की राशि की वापसी न कर पाने की स्थिति में इन्होंने आत्महत्या की है. इन खबरों को मीडिया ने काफी प्रमुखता से प्रकाशित किया है.
एडीएम (पंचायत) ने अपनी रिपोर्ट में क्रमवार इनका पूर्ण विवरण उपलब्ध कराया है. उन्होंने कहा कि बीते नौ मार्च को जिले के भातार थाना अंतर्गत गुड्डू मुमरू की मौत हुई थी. उनसे रामचंद्रपुर निवासी उदय चटर्जी की 17 कट्ठा जमीन पर आलू की खेती की थी. उसके पास धान के 150 बोझा को दो गोले भी थे. उन्होंने कहा है कि गुड्डू आदतन शराबी था. उसकी मौत जहरीली शराब पीने से हुई. उसकी मौत के पीछे आलू की बिक्री कम कीमत पर होने तथा खखेती के लिए कर्ज लेने जैसी कोई बात नहीं थी. उनके अनुसार बीते 14 मार्च को कालना-एक के सिमलॉन कोद्रापाड़ा निवासी कृष्णा सरदार की मौत हुई थी. वह पेशे से खेतिहर मजदूर था तथा उसके पास खेती योग्य कोई जमीन नहीं है.
उसने मानसिक तनाव तथा वैवाहिक विवाद के कारण आत्महत्या की थी. उन्होंने कहा कि बीते 17 मार्च को गलसी-दो के सान्को ग्राम पंचायत अंतर्गत चांदपुर निवासी गणोश सोरेन की मौत हुई थी. वह आलू उत्पादक किसान ही नहीं था. उसकी मौत उसके रिश्तेदार के घर में हुई. वह आदतन शराबी था.उसके परिवार में हमेशा झगड़ा होता था. उसने विषपान किया, जो उसकी मौत का कारण बना. इसी दिन आउसग्राम – दो पंचायत अंतर्गत रामनगर खोरदाद्वारियापुर निवासी शेख मनसूल की मौत हुई थी. वह पेशे से मजदूर था तथा उससके पास कुछ छंटाक ही जमीन है. वह आलू उत्पादक किसान ही नहीं था.
उसकी मौत बिजली करंट लगने से उस समय हुई, जब वह अपने खेत में लगे सब-मरसिबुल पंप की मरम्मत कर रहा था. रिपोर्ट के अनुसार बीते 20 मार्च को खंडघोष थाना अंतर्गत ससंगा ग्रा पंचायत के कुलेपुकुर सुमेर दुलेपाड़ा निवासी रतन शार की मौत हुई. वह भी पेशे से मजदूर था तथा उसके पास कुछ छंटाक ही जमीन है. वह भी आलू उत्पादक किसान नहीं है. उसकी पत्नी के साथ उसका विवाद हुआ था और इस कारण उसने आत्महत्या की थी.
आलू की खेती से उसका कोई संबंध ही नहीं था. इसी दिन कालना-दो प्रखंड के बाड़ाधमस ग्राम पंचायत के शिवरामपुर निवासी विजय हांसदा की मौत हुई थी. उसके परिजनों के हवाले से कहा गया है कि वह भूमिहीन दिहाड़ी श्रमिक था. आलू की खेती से उसका कोई संबंध नहीं था. प्रशासन को दिये बयान में परिजनों ने कहा है कि उसकी मौत जहर खखाने से हुई. उसने परिवार के भरण-पोषण के लिए विभिन्न स्तरों व स्त्रोतों से कजर्ज ले रखा था. पिछले कुछ समय से वह मानसिक अवसाद का शिकार था. इसी कारण से उसने आत्महत्या कर ली थी.
उन्होंने कहा है कि बीते 21 मार्च को जमालपुर प्रखंड के निवासी प्रसाद लेट की मौत हुई थी. वह बटाई पर खेती करता था. उसके पास कोई जमीन नहीं थी. उसने साढ़े पांच बीघा जमीन पर खेती की थी तथा डेढ़ बीघा जमीन लीज पर ले रखा था. इन खेतों से उत्पादित आलू में से उसने कुछ आलू स्थानीय बाजार में बेचा था,, जबकि कुछ आलू उसने हिमघर में रखा था. आरोप है कि उसने विभिन्न स्त्रोतों से कर्ज लेकर आलू की खेती की थी. लेकिन प्रशासनिक अधिकारी की जांच में परिजन कर्ज लेने से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं दिखा सके.
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