बांकुड़ा : बांकुड़ा के कृषकों में सूर्यमुखी की खेती के प्रति रुझान बढ़ी है. जिसके तहत जिले के अधिकांश जगहों पर सूर्यमुखी की खेती की जा रही है. कृषकों का मानना है कि उपजाऊ जमीन होने के साथ-साथ तीन-चार बार सिंचाई करने से ही सूर्यमुखी की अच्छी खेती की जा सकती है.
जिले के बेलियातोड़ रेंज के धनीपाड़ा ग्राम में भी बड़े पैमाने पर सूर्यमुखी की खेती की जा रही है. ऐसा माना जाता है कि तेलीय फसल होने के कारण हाथी भी सूर्यमुखी की ओर आकर्षित नहीं होते हैं, केवल तोता आदि पक्षियों से ही नुकसान का भय बना रहता है. धनीपाड़ा ग्राम के कृषक निखिल भूंई का कहना है कि उन्होंने एक बीघा जमीन पर सूर्यमुखी की खेती की है. फूल आ गया है. गांव में 40-45 बीघा जमीन पर सूर्यमुखी की खेती की जा रही है. हाथी फसल को खाता नहीं है, लेकिन कुचलने का भय बना रहता है.
लेकिन इससे अधिक नुकसान की संभावना नहीं रहती है. दिसंबर से जनवरी के बीच बीज बोया जाता है एवं चैत्र महीने के अंत तक कटाई हो जाती है. गांव के ज्यादातर किसान सूर्यमुखी की खेती कर रहे हैं. बरजोड़ा ब्लॉक के कृषि प्रयुक्ति सहायक धनंजय मंडल का कहना है कि सोरंगा, धनीपाड़ा, छांदार ग्राम पंचायत के गोविंनाथपुर इत्यादि इलाकों में सूर्यमुखी की खेती की जा रही है.
चार-छह बार सिंचाई के साथ ही 30-35 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान खेती के लिए उपयुक्त है. बेलियातोड़ रेंज के रेंजर रंजीत सिंह महापात्र का कहना है कि इलाके में तीन-चार रेसिडेंसियल हाथी है जो कि बरजोड़ा के जंगल में ही रहते हैं. धनीपाड़ा इलाके के कृषकों का कहना है कि इलाके में हाईब्रीड जाति के सूर्यमुखी की खेती की जा रही है. स्थानीय बाजार में इसकी मांग है.
वसुंधरा परिवेश सुरक्षा समिति के सचिव उत्तम चट्टोपाध्याय का कहना है कि सूर्यमुखी की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ाने की आवश्यकता है. इसकी खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है और यहां का वातावरण भी सूर्यमुखी की खेती के उपयुक्त है. इसलिए इसकी खेती के प्रति किसानों में विशेष उत्साह देखी जा रही है. जिले के तालडांगरा सीमलापाल इंदपुर, सोनामुखी , छातना, बांकुड़ा आदि क्षेत्रों में सूर्यमुखी की खेती विशेष रूप से की जा रही है.