कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार ने की जिलाशासक की नियुक्ति
अवैध कोयला कारोबार पर रोक लगाने और इसीएल के आवासों को अवैध कब्जा से मुक्त कराने को लेकर दायर मामले की सुनवाई पर अदालत का आदेश.
आसनसोल : कलकाता उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार के गृह विभाग ने शिल्पांचल में कोयले पर निगरानी और इसीएल के आवस तथा जमीन को अवैध कब्जा मुक्त कराने की दिशा में ठोस कार्रवाई के लिए जिलाशासक शशांक सेठी की नियुक्ति की. इस मुद्दे पर अंडाल निवासी व अधिवक्ता पार्थो घोष की रिट पिटीशन पर 19 जुलाई 2019 को सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन और न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने राज्य सरकार को ऊक्त कार्य की निगरानी के लिए काबिल अधिकारी को नियुक्त करने का आदेश दिया था.
नियुक्त अधिकारी के पास सीआरपीसी, पब्लिक प्रिमिसेस (एविक्शन एंड अनअथोराईज अक्यूपेंट्स) एक्ट 1971 को लागू करने का पूर्ण अधिकार हो. राज्य के पुलिस सम्बंधीय कानून का अंत तक प्रयोग कर रिट पिटीशन में दायर मुद्दों की रक्षा कर सके, ऐसे अधिकारी की नियुक्ति करने को कहा था.
27 सितम्बर, 22 नवम्बर और 13 दिसम्बर को सुनवाई में भी अदालत के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा कोई पहल न होने पर 13 दिसम्बर की सुनवाई में अदालत ने सरकार को अंतिम मौका दिया. जिसके उपरांत राज्य सरकार के गृह विभाग ने ऊक्त अधिकारी के रूप में जिला शासक श्री सेठी की नियुक्ति की.
सनद रहे कि इलाके में कोयले के अवैध कारोबार और इसीएल के आवसों पर अवैध कब्जा से देश को होने वाले नुकसान को लेकर अधिवक्ता पार्थो घोष ने वर्ष 2009 में कलकत्ता उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर की थी. जिसपर सुनवाई चल रही है.
27 सितम्बर, 22 नवम्बर और 13 दिसम्बर तक लगातार तीन सुनवाई में ही मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन और न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने कोयले की रक्षा को लेकर सरकारी मशीनरी द्वारा किये जा रहे कार्य पर असंतोष व्यक्त किया और नाराजगी जताते हुए कहा कि इसकी निगरानी के लिए राज्य सरकार को एक काबिल अधिकारी को तैनात करने को निर्देश 19 जुलाई को दिया गया था. जिसपर कोई पहल नहीं हुई. सुनवाई की अगली तारीख 20 दिसम्बर को देते हुए कहा कि राज्य सरकार को अधिकारी की नियुक्ति का अंतिम मौका दिया. राज्य सरकार ने इस आदेश के आधार पर श्री सेठी की नियुक्ति कर दी.
मामले की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश श्री राधाकृष्णन और न्यायाधीश श्री बनर्जी की खंडपीठ ने जारी आदेश में कहा गया कि भूमिगत कोयला जातीय संपत्ति है. इसकी प्रबंधकीय व्यवस्था और नियंत्रण सरकार द्वारा किया जाता है.
डाइरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी के भाग चार के आधार पर इसकी रक्षा की जिम्मेदारी संवैधानिक अधिकारी का है. इसकी रक्षा न कर पाना उनकी व्यर्थता है. सरकारी विभाग और जिनके ऊपर राज्य पुलिसिंग का दायित्व है, यदि यह लोग इसकी रक्षा में असमर्थ है तो जातीय संपदा की रक्षा के लिए अदालत भारत सरकार के अधीन सशक्त व सशस्त्र बल की तैनाती की जरूरत पर चिंतन जरूर करेगी.