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सर्वोच्च न्यायालय तय करेगा असली इंटक कौन‍‍

जटिलता : कांग्रेस की यूनियन में असली होने की दावेदारी का मामला और अधिक उलझा इंटक के तीनों गुटों को नोटिस की गयी जारी, दो हफ्ते में मांगा जवाब दिल्ली हाइकोर्ट समेत विभिन्न कोर्ट में चल रही है कई मामलों की सुनवाई ददई गुट के राष्ट्रीय महासचिव एनजी अरुण ने की नोटिस मिलने की पुष्टि […]

जटिलता : कांग्रेस की यूनियन में असली होने की दावेदारी का मामला और अधिक उलझा

इंटक के तीनों गुटों को नोटिस की गयी जारी, दो हफ्ते में मांगा जवाब
दिल्ली हाइकोर्ट समेत विभिन्न कोर्ट में चल रही है कई मामलों की सुनवाई
ददई गुट के राष्ट्रीय महासचिव एनजी अरुण ने की नोटिस मिलने की पुष्टि
आसनसोल : इंटक नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) में असली नकली का चल रहा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश संजय किशन कौल एवं न्यायाधीश केएस जोसेफ की खंडपीठ इस मामले में अगली सुनवाई करेगी. देश के सॉलिसिटर जेनरल (एसजी) तुषार मेहता की याचिका पर बीते 16 अगस्त को सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने इंटक के तीनों गुट रेड्डी गुट, ददई गुट एवं तिवारी गुट को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
क्या है मामला: इंटक पर दावेदारी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट समेत अन्य कई कोर्ट में मामले चल रहे हैं. दिल्ली हाई कोर्ट के 16 सितंबर, 2016 के आदेश के कारण इंटक कोयला श्रमिकों के वेतन समझौता करनेवाली दसवीं जेबीसीसीआइ में शामिल नहीं हो सकी. कोर्ट के इसी आदेश के आलोक में श्रम मंत्रालय ने देश के सभी द्विपक्षीय एवं त्रिपक्षीय कमेटियों से इंटक को बाहर कर दिया. ताजा मामला डब्ल्यूसीएल में इंटक की यूनियन राष्ट्रीय कोयला खदान मजदूर संघ (इंटक) से संबद्ध आरकेकेएमएस से जुड़ा है.
आरकेकेएमएस ने वर्ष 2017 में डब्ल्यूसीएल प्रबंधन द्वारा आइआर (औद्योगिक संबंध) में शामिल नहीं करने पर बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका संख्या 5320/ 2017 दाखिल की. मामले की सुनवाई के बाद आठ मार्च, 2019 को कोर्ट ने आरकेकेएमएस के पक्ष में फैसला सुनाते हुए डब्ल्यूसीएल प्रबंधन को आइआर में शामिल करने का आदेश दिया. प्रबंधन ने इस आदेश पर न तो अमल किया और न ही इस फैसले के खिलाफ डबल बेंच में अपील की. तब यूनियन ने डब्ल्यूसीएल प्रबंधन के खिलाफ बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जुलाई 2019 में अवमानना वाद दायर कर दिया.
इस अवमाननावाद में यूनियन ने डब्ल्यूसीएल के सीएमडी एवं चेयरमैन कोल इंडिया को वादी बनाया. इस अवमाननावाद के खिलाफ डब्ल्यूसीएल प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट में 119311/2019 दायर की.

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