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आसनसोल स्टेशन से बरामद एक करोड़ रुपये का मामला बना गंभीर

जांच का दायित्व मिला सीआइडी को जीआरपी के रिमांड में रहे दोनों आरोपियों से हो रही है पूछताछ राजनीतिक तार जुड़ने से हो सकता है जांच का दायरा व्यापक आसनसोल : आसनसोल स्टेशन परिसर से एक करोड़ रुपये के साथ लक्ष्मीकांत साह दिल्ली तथा गौतम चट्टोपाध्याय की गिरफ्तारी के मामले की जांच अपराध अनुसंधान विभाग […]

जांच का दायित्व मिला सीआइडी को

जीआरपी के रिमांड में रहे दोनों आरोपियों से हो रही है पूछताछ

राजनीतिक तार जुड़ने से हो सकता है जांच का दायरा व्यापक

आसनसोल : आसनसोल स्टेशन परिसर से एक करोड़ रुपये के साथ लक्ष्मीकांत साह दिल्ली तथा गौतम चट्टोपाध्याय की गिरफ्तारी के मामले की जांच अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) को सौंप दी गई है. जीआरपी ने इन दोनों को आसनसोल जिला कोर्ट से चार दिनों के रिमांड पर लिया था. इधर दायित्व मिलते ही सीआइडी अधिकारियों ने बर्नपुर स्टेशन रोड के व्यवसायी बजरंग अग्रवाल के घर छापेमारी की. सनद रहे कि ‘प्रभात खबर ’ ने कहा था कि इस मामले में बर्नपुर के व्यवसायी की मुख्य भूमिका है.

मामले का फ्लैश बैक

सनद रहे कि रविवार को दिल्ली निवाली लक्ष्मीकांत तथा बारासात जिले से साशन निवासी गौतम चट्टोपाध्याय को आसनसोल जीआरपी ने स्ठेशन परिसर से संदेहास्पद स्थिति में गिरफ्तार किया था. उनके पास रहे बैंग से पांच सौ तथा दो हजार रूपये के नोटों की गड्डियां बरामद की गई थी. पूछताछ में गौतम ने कहा था कि वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का निजी सचिव है तथा यह राशि भाजपा की है. उसे यह राशि कोलकाता पहुंचानी है. इसके बाद ही यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक हो गया था. जीआरपी ने दोनों को आसनसोल जिला कोर्ट में सीजेएम के समक्ष पेश कर चार दिनों की पुलिस रिमांड पर लिया था.

दायित्व संभालते ही बर्नपुर में छापेमारी

मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने इस मामले की जांच का दायित्व जीआरपी से लेकर कोलकाता की सीआइडी टीम को सौंप दिया. सीआइडी के स्तर से प्रारंभिक स्तर से ही इसकी जांच सामान्य स्तर से हो रही थी. लेकिन जांच का दायित्व मिलते ही सीआइडी अधिकारी रेस हो गये. उन्होंने रिमांड में रहे दोनों आरोपियों से पूछताछ की. इसके बाद उन्होंने बर्नपुर रोड निवासी बजरंग अग्रवाल के घर में छापेमारी की. लेकिन बजरंग घर में नहीं मिला. परिजनों से बातचीत करने के बाद सीआइडी अधिकारी लौट आये. इसकी पुष्टि जीआरपी थाना प्रभारी श्यामल राय तथा हीरापुर थाना प्रभारी सौमेन्द्र नाथ सिंधा ठाकुर ने की.

स्थानीय लोगो ने बताया कि श्री अग्रवाल व्यवसायी है. परिवार का काफी विस्तृत कारोबार है. कुछ दिनों पहले तक उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. लेकिन वर्त्तमान समय में उनका परिवार काफी संपन्न है. लेकिन इन मामले में उनका नाम आने के बाद उनके खिलाफ शिकंजा कस सकता है. घर से उनकी अनुपस्थिति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.

चुनाव आयोग को जानकारी, उपयोग पर चुप्पी

इधर राज्य के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी संजय बसु ने कहा कि आसनसोल स्टेशन से एक करोड़ रुपये की बरामदगी की जानकारी चुनाव आयोग की जानकारी में है. इसकी जांच की जा रही है. संबंधित एजेंसी से रिपोर्ट मांगी गई है. आयोग के पास इस बात के साक्ष्य नहीं है कि इस राशि का उपयोग किसी राजनीतिक पार्टी के स्तर से चुनावी कार्य में किया जाना है. जांच रिपोर्ट के बाद इस संबंध में उचित कार्रवाई की जायेगी.

आयकर विभाग करेगा समानांतर जांच

दूसरी ओर आयकर विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के मामलों की जांच के लिए विभाग में विशेष जांच टीम गठित की गई है. आसनसोल स्टेशन से बरामद रुपये के बारे में स्पेशल टीम के सदस्यों ने आरोपियों से पूचताछ की थी. लेकिन दोनों राशि से संबंधित कोई कागजात या साक्ष्य नहीं दिखा सके. इस कारण जांच टीम इसकी जांच कर रही है. लेकिन इस मामले में जीआरपी तथा सीआइडी के जुड़ जाने के बाद विभाग को उनकी जांच रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वैसे भी आयकर विभाग की जांच में कुछ समय लगता है, क्योंकि राशि के स्त्रोत तथा संबंधित व्यक्ति के बारे में लंबी पूछताछ करनी पड़ती है.

क्या कहा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री घोष ने स्वीकार किया है कि गौतम काफी समय पहले उनका निजी सचिव था. लेकिन कुछ समय पहले वह उनसे व्यवसाय करने के नाम पर अलग हो गया था. हाल ही में वह पुन: पार्टी से जुड़ा था. लेकिन उसके पास कोई दायित्व नहीं था. उन्हें इस राशि के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्हें मीडिया से यह जानकारी मिली है. सीआइडी अधिकारियों के अनुसार गौतम आरएसएस से जुड़ा रहा है तथा श्री घोष के विधायक बनने के बाद आरएसएस के स्तर से उसे श्री घोष के साथ जोड़ा गया था. वह विधायक विकास मद की राशि तथा विकास कार्यों का निष्पादन करता था. बाद के दिनों में दायित्व बढ़ने के बाद श्री घोष के साथ अन्य कर्मी को निजी सचिव के रूप में जोड़ दिया गया था.

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