जमीन से लेकर लोडिंग तक पकड़ी गई विभिन्न अनियमितताएं
सात दिनों के अंदर कानूनी कार्रवाई कर जिलाशासक ने मांगी रपट
आसनसोल : जिलाशासक शशांक सेठी ने शनिवार को कुल्टी थाना अंतर्गत देवीपुर मौजा में स्थित इम्पेक्स फेरो और सालानपुर प्रखण्ड के महेशपुर मौजा में स्थित सिटी गोल्ड सीमेंट एंड स्टील कारखानों का औचक निरीक्षण किया. दोनों उद्योगों में बड़ी अनियमितता पाई गई. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इम्पेक्स फेरो नगर निगम क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद उद्योगों में बिल्डिंग निर्माण के लिए नगर निगम से मंजूरी और आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (अड्डा) से एनओसी नहीं लिया गया है.
उद्योग चलाने के लिए कंसर्न टू एस्टेब्लिशमेंट (सीटीई)का कागजात नहीं मिला. जमीन को लेकर भी अनेकों अनियमितता दोनों उद्योगों में भी पायी गयी. इनके खिलाफ संबंधित सभी विभागों को तत्काल कार्रवाई कर सात दिन के अंदर रिपोर्ट जमा देने को कहा गया है.
सालानपुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) तपन सरकार, आरटीओ पुलक रंजन मुंशी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अभियंता, कुल्टी के बीएलएंडएलआरओ शामिल थे. इसकी सूचना मिलते ही कुल्टी थाना प्रभारी तथा सालानपुर थाना प्रभारी पुलिस बल के साथ पहुंचे. जिले में हर उद्योगों को सरकारी सभी नियमों के दायरे में लाकर उद्योगों को स्थायित्व देने और सरकारी राजस्व में बढ़ोतरी को लेकर जिलाशासक श्री सेठी ने मुहिम आरंभ की है.
इसके तहत उन्होंने शनिवार को देंदुआ कल्याणेश्वरी मुख्य सड़क पर कोदोवीटा मोड़ के पास स्थित आद्योगिक क्षेत्र में जिलाशासक ने जांच अभियान चलाया. जिलाशासक श्री सेठी ने बताया कि इम्पेक्स फेरो में चारदीवारी के अंदर देवत्व का जमीन तथा पट्टा की जमीन शामिल है. जिसकी जांच कर सात दिन के अंदर बीएलएंडएलआरओ को रिपोर्ट देने को कहा गया है. उद्योग स्थापित करने के लिए पहले सीटीई जरूरी है. उसके उपरांत कंसर्न टू ऑपरेट (सीटीओ) मिलता है. यहां सीटीई नहीं मिला. अड्डा की एनओसी और नगर निगम की अनुमति पत्र नहीं मिला.
प्रदूषण विभाग के नियमों में भी भारी अनियमितता पायी गयी. कारखाना में जो भी कच्चा माल आया और उत्पादित माल यहां से निकला. सब वाहनों की चालान की जांच की गयी. सभी वाहनों में ओवरलोडिंग का मामला पाया गया. आरटीओ को चालान के आधार पर फाइन संग्रह करने को कहा गया है.उन्होंने कहा कि सिटी गोल्ड कारखाने में भी इसी तरह की अनियमितता पायी गयी. जमीन का कन्वर्सन सही नहीं है, अड्डा से एनओसी नहीं लिया गया. जिलापरिषद की अनुमति नहीं है. प्रदूषण विभाग के नियमों की अनदेखी की गयी है. संबंधित सभी विभागों से सात दिन में कार्यवाई कर रिपोर्ट जमा देने को कहा गया है.