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आसनसोल : कोलकर्मियों को आजीवन इलाज की सुविधा
आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के सभी कर्मियों को अब रिटायरमेंट के बाद भी आजीवन स्वास्थ्य लाभ और इलाज की सुविधा दी जायेगी. इस पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकल स्कीम (पीआरएमएस) के तहत देश के किसी भी कोने में आठ लाख रुपये तक के खर्चे पर इलाज संभव है. इस योजना के तहत सात तरह की […]
आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के सभी कर्मियों को अब रिटायरमेंट के बाद भी आजीवन स्वास्थ्य लाभ और इलाज की सुविधा दी जायेगी. इस पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकल स्कीम (पीआरएमएस) के तहत देश के किसी भी कोने में आठ लाख रुपये तक के खर्चे पर इलाज संभव है.
इस योजना के तहत सात तरह की बीमारियां चिन्हित की गई हैं. इसके मद में कंपनी असीमित खर्च वहन करेगी. इस बाबत इसीएल के कार्मिक विभाग के सूत्रों ने बताया कि स्कीम के लिए कोयला कर्मियों को 31 दिसंबर, 2018 तक कंपनी में 40 हजार रुपये जमा कराना होगा तथा आवेदन की अंतिम तिथि भी 31 दिसंबर ही है.
वेतन की कटौती से हो रहा फंड तैयार
उक्त स्कीम 58 हजार रुपये की है. इसमें 40 हजार रुपये कर्मियों को जमा करनी होगी तथा शेष 18 हजार रुपये की राशि कर्मियों के लिए कंपनी अपने स्तर से जमा करेगी. एक जुलाई, 2016 को या इसके बाद सेवानिवृत्त होनेवाले कर्मी ही इस दायरे में आयेंगे. पहले इस स्कीम की सीमा पांच लाख रुपये तक थी. दसवें राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते में यह सीलिंग बढ़ायी गयी है.
जो कार्यरत हैं या जो एक जुलाई, 2017 से पहले के बहाल हैं, उनके वेतन से प्रतिमाह दो हजार रुपये 20 महीनों तक काट कर मेडिकल फंड तैयार होगा. एक जुलाई, 2017 के बाद बहाल कर्मियों के वेतन से एक हजार रुपये प्रति माह के दर से 40 माह तक कटौती की जायेगी. राशि जमा करनेवाला कर्मी का बगैर स्कीम का लाभ लिये देहांत होता है तो उनके आश्रित को उक्त राशि वापस कर दी जायेगी.
स्मार्ट कार्ड की भी योजना
स्कीम के लिए कर्मियों का मेडिकल स्मार्ट कार्ड भी बनेगा. इसके साथ ही साथ कोल इंडिया मेडिकल अटेंडेंट रूल में भी बदलाव होगा. 25 साल की जगह 30 साल तक के आश्रितों को इलाज की सुविधा मिलेगी.
दिव्यांग बच्चों को (पैदाइश या दुर्घटनावश) को ताउम्र इलाज की सुविधा मिलेगी. गंभीर बीमारियों में किडनी, कैंसर, हॉर्ट आदि प्रमुख बीमारी शामिल हैं. इसमें एक्सीडेंट को भी गंभीर बीमारी के रूप में शामिल किया गया है.
शिकायत पर त्वरित कार्रवाई
मानकीकरण कमेटी की बैठक में यूनियन प्रतिनिधियों ने कैशलेस इलाज की व्यवस्था को लेकर बड़े निजी अस्पतालों की शिकायत की थी. शिकायत थी कि बड़े निजी अस्पतालों में रेफर कर्मियों से इलाज के लिए पैसा जमा करा लिया जाता है.
इस पर कोल इंडिया के कार्मिक निदेशक आरपी श्रीवास्तव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए साक्ष्य के साथ शिकायत करने को कहा था. शिकायत पर त्वरित कार्रवाई का भरोसा दिया था. बाद में संबंधित तीन अस्पतालों को पैनल से निकाल दिया गया.
स्कीम का अतीत
विदित हो कि कोल कर्मियों के लिए पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकेयर स्कीम एनसीड्ब्ल्यूओ-10 में बनी थी. बाद में इसके लिए जेबीसीसीआइ में एक सब कमेटी बनायी गयी. तब स्कीम का नाम कंट्रीब्यूटरी पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकेयर स्कीम था.
इससे पहले वर्ष 2012 में भी यह स्कीम लायी गयी थी. तब सीमा पांच लाख रुपये थी. बाद में जेबीसीसीआइ सदस्यों ने स्कीम को व्यापक करने की जरूरत महसूस की. पुरानी स्कीम में जो 32 सौ सदस्य बनाये गये थे, वे नई स्कीम में स्वत: सदस्य हो जायेंगे.
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