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योग्यताधारी को भी केटेगरी वन में ही नौकरी, सीआइएल के कार्मिक निदेशक ने जारी किया निर्देश आइआइ-18

आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) प्रबंधन का ओर से योग्यताधारी आश्रितों के नियोजन को लेकर शनिवार को जारी इंप्लीमेंट इंस्ट्रक्शन (आइआइ-18, क्रियान्वयन आदेश) पर विवाद शुरू हो गया है. इसके विरोध में एटक, सीटू तथा एचएमएस खड़ी हो गई हैं. एटक ने पत्र लिख कर इसे वापस लेने की मांग की है. सूत्रों के […]

आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) प्रबंधन का ओर से योग्यताधारी आश्रितों के नियोजन को लेकर शनिवार को जारी इंप्लीमेंट इंस्ट्रक्शन (आइआइ-18, क्रियान्वयन आदेश) पर विवाद शुरू हो गया है. इसके विरोध में एटक, सीटू तथा एचएमएस खड़ी हो गई हैं. एटक ने पत्र लिख कर इसे वापस लेने की मांग की है. सूत्रों के अनुसार अगर प्रबंधन ने इसे वापस नहीं लिया तो कुछ संगठन हह़ताल की भी नोटिस दे सकते हैं.
क्या है इस आदेश में
कोल इंडिया के कार्मिक निदेशक आरपी श्रीवास्तव के हस्ताक्षर से जारी आइआइ-18 के मुताबिक कोल कर्मी के निधन पर आश्रित को केटेगरी वन में ही नियोजन मिलेगा, चाहे कुछ भी योग्यता हो, वर्त्तमान में भी इसी पद पर नियोजन मिलता है.
कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं बनी स्कीम
योग्यता के आधार पर नियोजन की मांग को लेकर नागपुर का कर्मी आनंद पवार महाराष्ट्र हाई कोर्ट के नागपुर बैंच में गया था. कोर्ट में प्रबंधन ने कहा था कि योग्यता के लिए जेबीसीसीआइ एक स्कीम बनायेगी. इसके लिए कोल इंडिया के कार्मिक निदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन हुआ. पर स्कीम अभी तक नहीं बन पाया है.
विलंब होते देख कोर्ट ने पांच दिसंबर, 2018 तक स्कीम बनाने का निर्देश दिया. इस आलोक में गत 11 नवंबर को कोलकाता में कमेटी की बैठक हुई. बैठक में वर्त्तमान केटेगरी वन के प्रस्ताव पर बीएमएस तथा एटक प्रतिनिधि ने हस्ताक्षर किया. जबकि सीटू और एचएमएस प्रतिनिधियों ने विरोध दर्ज कराते हुए हस्ताक्षर नहीं किया. इसके बाद इस पर काफी विवाद हुआ. प्रबंधन ने 11 नवंबर की बैठक का हवाला देते हुए आइआइ-18 जारी कर दिया.
आइआइ-18 वापस हो : आरसी
एटक से संबद्ध कोलियरी मजदूर सभा के महासचिव सह पूर्व सांसद आरसी सिंह ने कहा कि इस संबंध में एटक अध्यक्ष रमेन्द्र कुमार ने कोल इंडिया के कार्मिक निदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि आश्रितों के नियोजन के लिए 26 / 27 नवंबर, 2017 को कमेटी गठित हुई थी. कमेटी की मात्र एक बैठक नौ अक्तूबर, 2017 को हुई थी.
जिसमें कोई अनुशंसा नहीं की गई. 11 नवंबर को मानकीकरण समिति की बैठक के हवाले से आइआइ-18 जारी किया गया, जबकि इस मामले में मानकीकरण समिति को निर्णय लेने का कोई अधिकार ही नहीं है. यह निर्णय गलत है. इसका कोई औचित्य नहीं है. इसे किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए इसे तत्काल वापस लिया जाये.

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