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सांकतोड़िया : कोयले के ग्रेड के अनुरूप हो गुणवत्ता
सांकतोड़िया : ईस्टर्न कोल्डफिल्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) सहित कोल इंडिया की विभिन्न सहायक कंपनियों के कोयले के ग्रेड में भारी गड़बड़ी मिली है. कोयला मंत्रालय ने नाराजगी जताते हुए प्रबंधन को गुणवत्ता में सुधार लाने का सख्त निर्देश दिया है. पिछले वर्ष कोयला का ग्रेड गिरने से ईसीएल को 262 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. […]
सांकतोड़िया : ईस्टर्न कोल्डफिल्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) सहित कोल इंडिया की विभिन्न सहायक कंपनियों के कोयले के ग्रेड में भारी गड़बड़ी मिली है. कोयला मंत्रालय ने नाराजगी जताते हुए प्रबंधन को गुणवत्ता में सुधार लाने का सख्त निर्देश दिया है. पिछले वर्ष कोयला का ग्रेड गिरने से ईसीएल को 262 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. चालू वित्तीय वर्ष में इसके तीन सौ करोड़ रूपये होने का अनुमान है.
कोयले की गुणवत्ता में सुधार लाने को लेकर पिछले माह ही कंपनी में गुणवता पखवाड़ा मनाया गया. गुणवता में सुधार करने पर जोर दिया गया परन्तु गुणवता में सुधार नहीं हो पा रहा है. कोयले का सेंपलिंग करने के बाद उसके ग्रेड का निर्धारण होता है. सिंफर जो ग्रेड निर्धारित करती है, उसे बिजली कंपनियां तथा कोयला कंपनियां स्वीकार करती हैं. कोल इंडिया का 80 फीसदी कोयला पावर सेक्टर को सप्लाई होता है. बिजली कंपनियों के पास कई हजार करोड़ रुपये की राशि इसी विवाद में बकाया है. ग्रेड में गड़बड़ी होने से राशि में कटौती होती है.
कोल कंपनियों की 177 खदानों के कोयले की निर्धारित ग्रेडिंग में खामियां पाई गई हैं. मंत्रालय से शिकायत करने के बाद मंत्रालय को निर्देश जारी किया. कंपनियों की 386 कोयला खदानों से 871 सैंपल लिये गये थे. जिसकी जांच में 177 कोयला खदानों के सैंपलों की जांच में निर्धारित ग्रेडिंग के अनुरूप कोयले की गुणवत्ता नहीं पाई गई थी. जांच रिपोर्ट के बाद ऐसी सभी खदानों के कोयले की ग्रेडिंग घटा दिए जाने से कंपनी को भारी क्षति का सामना करना पड़ा है.
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