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ज्वाइंट इंट्रेस, आइआइटी की तैयारी अब रानीगंज में ही कर सकेंगे छात्र

रानीगंज : ज्वाइंट इंट्रेंस, मेडिकल, आईआईटी की कोचिंग के लिये छात्र-छात्राओं को कोटा का रूख नहीं करना होगा. रानीगंज में ही वे इसकी तैयारी कर सकेंगे. भारत की प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान ‘सीबी क्लासेस’ कोचिंग की सुविधा रानीगंज शहर के बच्चों को देने जा रही है. संस्थान के लेक्चरर बच्चों को यहीं प्रशिक्षित कर उन्हें उनके […]

रानीगंज : ज्वाइंट इंट्रेंस, मेडिकल, आईआईटी की कोचिंग के लिये छात्र-छात्राओं को कोटा का रूख नहीं करना होगा. रानीगंज में ही वे इसकी तैयारी कर सकेंगे. भारत की प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान ‘सीबी क्लासेस’ कोचिंग की सुविधा रानीगंज शहर के बच्चों को देने जा रही है. संस्थान के लेक्चरर बच्चों को यहीं प्रशिक्षित कर उन्हें उनके मुकाम तक पहुंचायेंगे.
गुरूवार को रानीगंज इंडियन मेडिकल एसोसियेशन अध्यक्ष डॉ देवाशिष भट्टाचार्य की देखरेख में आयोजित सेमिनार के तहत कोचिंग संस्थान सीबी क्लासेस के मैनेजिंग डायरेक्टर चंद्रजीत बनर्जी ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि डाक्टरी, इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिये कोयलांचल, शिल्पांचल से हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं राजस्थान के कोटा शहर जाते हैं.
आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं को शिक्षा ग्रहण करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उन्हें बहुत कम खर्च में रानीगंज में ही शिक्षा दी जायेगी. उन्होंने कहा कि संस्थान से हजारों की संख्या में बच्चों ने आईआईटी, मेडिकल एवं ज्वाइंट इंट्रेंस की परीक्षा में सफलता हासिल की है. श्री चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि शहर में शैक्षणिक संस्थान की शुरुआत करने के पीछे मुख्य मकसद यह है कि रानीगंज उनकी जन्मस्थली है. रानीगंज से ही मैकेनिकल इंजीनियर बनकर वह इस मुकाम तक पहुंचे हैं.
उन्होंने कहा कि कोयलांचल-शिल्पांचल के छात्र-छात्राओं को इस क्षेत्र में सफलता दिलाना ही उनका मुख्य उद्देश्य है. रानीगंज की प्रतिष्ठित चिकित्सक सुवर्णा भट्टाचार्य ने कहा,‘ मेरे पुत्र ने सीबी क्लासेस से शिक्षा ग्रहण करके इंजीनियरिंग की परीक्षा में सफलता हासिल की है. जो छात्र-छात्राएं राजस्थान के कोटा में एडमिशन नहीं ले सकते हैं, वे आसानी से रानीगंज शहर में ही कोचिंग कर सकते हैं.
चिकित्सक बुलबुल सामंत ने कहा कि रानीगंज में ऐसी कोचिंग की नितांत आवश्यकता थी. दो वर्षों के लिये बच्चों को कोटा भेजते थे. वहां काफी खर्च भी होता था. बच्चे माता-पिता से दूर रहते थे. अब इस शहर में रहकर ही छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं.

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