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सीमा बंटने से नहीं बंटे रवींद्र, नजरूल
आसनसोल : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि बांग्ला का विभाजन होने के बाद भी विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर तथा विद्रोही कवि काजी नजरूल इस्लाम का विभाजन नहीं हो सकता है. दोनों ही कवि इन देशों के निवासियों के दिल में बसते हैं. वे शनिवार को काजी नजरूल यूनिवर्सिटी के तीसरे दीक्षांत समारोह को […]
आसनसोल : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि बांग्ला का विभाजन होने के बाद भी विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर तथा विद्रोही कवि काजी नजरूल इस्लाम का विभाजन नहीं हो सकता है. दोनों ही कवि इन देशों के निवासियों के दिल में बसते हैं. वे शनिवार को काजी नजरूल यूनिवर्सिटी के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थी. उन्हें इस समारोह में डीलिट की उपाधि से सम्मानित किया गया. मंच पर राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी तथा श्रम सह विधि व न्यायमंत्री मलय घटक मुख्य रूप से उपस्थित थे.
सुश्री हसीना ने कहा कियब उपाधि उनके लिए काफी महत्वपूर्ण है तथा यह बांग्लादेश की सभी जनता का सम्मान है. नजरूल राष्ट्रीय कवि हैं तथा चेतना व संघर्ष के साथ जुड़े रहे हैं. उनका आगमन साहित्य में धूमकेतु के रूप में हुआ था. वे सिर्फ कविता तक ही सीमित नहीं थे. कविता, उपन्यास, नाटक, गीत, संपादन, पत्रकारिता, अभिनय में वे समान रूप से परड़ रखते थे. उन्होंने कहा कि वे इस्लाम तथा हिन्दू धर्म को सरल भाषा मेंआम जनता के पास ले जाने में सफल रहे. यही कारण है कि वे किसी विशेष धर्म तक सीमित नहीं रह कर मानवता के प्रति समर्पित रहे.
दरिद्र परिवार में जन्म लेने के बाद भी मानवता तथा अधिकार के लिए संघर्ष के पक्षपाती रहे. अधिकार के संघर्ष में उनके गीत चेतना विकसित करते हैं. विपरीत परिस्थितियों तथा दमन के बाद भी उनके मुखर प्रतिवाद में कोई कमी नहीं आयी. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री सुश्री हसीना ने कहा कि बांग्लादेश के मुक्तियुद्ध में उनकी कविता की पंक्ति जय बांग्ला को ही मुख्य नारा बनाया गया. इस संघर्ष की सफतला के दो मुख्य स्तंभ रहे.
साहित्य के क्षेत्र में नजरूल तो राजनीति के क्षेत्र में शेख मुजीबर रहमान. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि चुरूलिया में जन्म लेने के बाद भी बांग्लादेश में उन्हें राष्ट्रकवि का दर्जा हासिल है. उन्होंने कहा कि पिछली बार जब वे वर्ष 1999 में चुरूलिया आयी तो स्थिति काफी जर्जर थी. लेकिन इस समय इसमें काफी सुधार आया है. इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बधाई के पात्र है.
उन्होंने कहा कि शिक्षा ही विकास का मुख्य मार्ग है. उन्होंने इसे ही प्राथमिकता दी है. उनके देश में साक्षरता 70 फीसदी से अधिक है. पेशे पर आधारित यूनिवर्सिटी खोली जा रही है. उन्होंने कहा कि आगामी पीढ़ी को इससे अवगत कराने के लिए संस्थान तथा एकेडमी खोली जा रही है.
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