विभिन्न यूनियन नेताओं ने श्रमिक विरोधी बता किया इसका विरोध
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पीएफ के ब्याज दर में कटौती का प्रस्ताव
विभिन्न यूनियन नेताओं ने श्रमिक विरोधी बता किया इसका विरोध श्रमिकों को बलि चढ़ा कर कॉरपोरेट घरानों को मदद का लगा आरोप सांकतोडिया : कोयला उद्योग समेत अन्य कामगारों के भविष्य निधि राशि की ब्याज दर में कटौती किए जाने से कर्मियों को भारी अर्थिक नुकसान होगा. श्रमिक संघ प्रतिनिधियों ने भी इसका विरोध जताना […]
श्रमिकों को बलि चढ़ा कर कॉरपोरेट घरानों को मदद का लगा आरोप
सांकतोडिया : कोयला उद्योग समेत अन्य कामगारों के भविष्य निधि राशि की ब्याज दर में कटौती किए जाने से कर्मियों को भारी अर्थिक नुकसान होगा. श्रमिक संघ प्रतिनिधियों ने भी इसका विरोध जताना शुरू कर दिया हैं. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में लगभग 4.5 करोड़ कर्मियों की राशि जमा हो रही है. मौजूदा समय में 8.65 फीसदी ब्याज दर तय की गयी है. पर केंद्र सरकार इसमें 0.50 फीसदी कटौती करने की तैयारी में है. एटक के वरिष्ठ नेता रमेन्द्र कुमार ने बताया कि लघु बचत योजनाओं में इस वर्ष ब्याज दर में काफी कटौती करने के साथ ही पीएफ में कटौती करने का प्रयास जारी है.
यह सारी कवायद कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 में भविष्य निधि में ब्याज दर 8.80 फीसदी तय किया गया था, पर वर्ष 2016-17 में इसे घटा कर 8.65 फीसदी कर दिया गया. अब इसे और घटाने की योजना बनाई जा रही है, जो मेहनतकश मजदूरों के हितों के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि व विविध प्रावधान अधिनियम 1952 के तहत केंद्र सरकार को अधिकार है कि वह ईपीएफओ योजना में अंशदान की दर कम कर सकती है. इसी कानून का फायदा उठा कर सरकार मजदूरों के गाढ़ी कमाई पर कैंची चलाने की योजना बना रही है, पर श्रमिक संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विरोध करने का फैसला लिया है. पूर्व में भी श्रम मंत्नालय ने कर्मचारी भविष्य निधि में नियोक्ता की हिस्सेदारी 12 फीसदी से घटा कर 10 फीसदी करने का प्रस्ताव किया था, पर श्रमिक संगठन के विरोध के कारण इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. एबीकेएमएस (बीएमएस )के अध्यक्ष बीके राय, एचएमएस के महामंत्नी शिवकांत पांडेय ने भी ब्याज दर में कटौती किये जाने पर आपत्ति जतायी है.
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