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आयुक्त अनिमेष भारती के खिलाफ जांच की हुई थी अनुशंसा
यूनियन नेताओं ने उठाये कई जरूरी सवाल एटक अध्यक्ष व बोर्ड सदस्य रमेन्द्र कुमार ने कहा कि सीएमपीएफ को ट्रस्टी बोर्ड चलाता है. जिसके अध्यक्ष कोल सचिव और सदस्य कोल मंत्नालय, कोल इंडिया के अधिकारी और ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि होते हैं. अगर यही करना था तो बोर्ड की मीटिंग होना जरूरी है. कोल सचिव […]
यूनियन नेताओं ने उठाये कई जरूरी सवाल
एटक अध्यक्ष व बोर्ड सदस्य रमेन्द्र कुमार ने कहा कि सीएमपीएफ को ट्रस्टी बोर्ड चलाता है. जिसके अध्यक्ष कोल सचिव और सदस्य कोल मंत्नालय, कोल इंडिया के अधिकारी और ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि होते हैं. अगर यही करना था तो बोर्ड की मीटिंग होना जरूरी है.
कोल सचिव बिना बैठक किए मनमर्जी फैसले लेकर घोटालेबाजो को बचाने में लग गए है. यह सरकार सभी संस्थाओं को बर्बाद करने में लगी है. प्रधानमंत्री कहते है कि भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं होगा. यहां आरोपी से ही उसके द्वारा किए गए घपले की रिपोर्ट मांगी जा रही है. बिल्ली को दूध की रखवाली दी जा रही है. तत्काल बोर्ड की मीटिंग होनी चाहिए. ऑल इंडिया कोल वर्कर फेडरेशन (सीटू) के महासचिव एवं ट्रस्टी बोर्ड सदस्य डीडी रामानंदन ने कहा कि यह सरकार कुछ भी कर सकती है. सीएमपीएफ का विजिलेंस है, मंत्नालय का विजिलेंस है, उनसे रिपोर्ट मांगना चाहिए था.
आरोपी से रिपोर्ट मांग कर मंत्नालय ने आरोपी को लीपापोती करने का छूट दे दिया है. अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष एवं बोर्ड के पूर्व सदस्य बीके राय ने कहा कि बोर्ड के निर्णय को बदलने के लिए बोर्ड की बैठक होनी चाहिए थी. उन पर जांच चल रही है. आरोपी से रिपोर्ट मांगने का मतलब है, घपला छिपाने का प्रयास. केंद्र सरकार को पत्र लिखा है.
क्या है पूरा मामला
वित्तीय वर्ष 2014-15 में सीएमपीएफ का फंड इन्वेस्टमेंट पर 8.5 प्रतिशत का ब्याज प्राप्त हुआ था. जबकि उसी साल ईपीएफओ को 8.8 प्रतिशत का ब्याज प्राप्त हुआ था. तत्कालीन आयुक्त के प्रभार में अनिमेष भारती और संयुक्त आयुक्त यूपी कमल थे. उनके बाद बीके पांडा आयुक्त बन कर आये. तब खुलासा हुआ कि गलत तरीके से इंवेस्टमेंट के कारण संगठन को लगभग 254 करोड़ रूपये की चपत लगी है. उन्होंने इसी साल विजिलेंस जांच की सिफारिश कर दी. जांच चल रही है.
इसी बीच नौ जून को मंत्नालय ने बीके पांडा को वेटिंग में करते हुए अनिमेष भारती को आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दे दिया. भारती ने दिल्ली से जारी पहले आदेश में नागपुर में पदस्थापित संयुक्त आयुक्त यूपी कमल का तबादला धनबाद मुख्यालय कर दिया. इस काफी बवाल हुआ. चार दिनों तक भारती को प्रभार नहीं मिला. जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से भारती आयुक्त के कुर्सी पर काबिज हुए. फिर कमल का तबादला नागपुर करना पड़ा. इसी बीच फर्जी बहाली का मामला भी सुर्खियो में रहा.
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