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लगातार बारिश की मार झेल रही इसीएल, करोड़ों का घाटा

सांकतोड़िया. शिल्पांचल सहित झारखंड में पिछले पांच दिनों से लगातार हो रही बारिश से ईसीएल का उत्पादन तथा डिस्पैच बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. 25 जुलाई को तीनो शिफ्ट मिलाकर मात्न 29 हजार टन कोयले का उत्पादन हुआ है. जबकि इसके पहले प्रतिदिन औसतन एक लाख टन कोयले का उत्पादन हो रहा था. कंपनी […]

सांकतोड़िया. शिल्पांचल सहित झारखंड में पिछले पांच दिनों से लगातार हो रही बारिश से ईसीएल का उत्पादन तथा डिस्पैच बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. 25 जुलाई को तीनो शिफ्ट मिलाकर मात्न 29 हजार टन कोयले का उत्पादन हुआ है.
जबकि इसके पहले प्रतिदिन औसतन एक लाख टन कोयले का उत्पादन हो रहा था. कंपनी के तकनीकी निदेशक (संचालन) बीएन शुक्ला ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में एक सौ एमएम अधिक बारिश हो चुकी है. पिछले साल जुलाई महीने में 465 एमएम बारिश हुई थी. जबकि इस महीने में अबतक 565 एमएम बारिश हुई है. उन्होंने कहा कि बारिश से कंपनी की खुली खदाने सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं. खुली खदानों से 25 जुलाई को मात्न 11 हजार टन कोयले का उत्पादन हुआ है. जबकि भूमिगत खदानों से 18 हजार टन कोयले का उत्पादन हुआ है. हालांकि भूमिगत खदानों में भी वर्षा के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि राजमहल परियोजना से प्रतिदिन 30 हजार टन कोयले का आसतन उत्पादन हो रहा था. 25 जुलाई को उस परियोजना से मात्न आठ हजार टन कोयले का उत्पादन संभव हो सका है.
इस परियोजना से 22 हजार टन कोयले का कम उत्पादन हुआ. सोनपुर बाजारी परियोजना में प्रतिदिन 25 हजार टन कोयले का उत्पादन हो रहा था. वर्षा के कारण मंगलवार को कोई उत्पादन नहीं हुआ. इसी तरह एसपी माइंस से प्रतिदिन चार हजार टन कोयले का उत्पादन हो रहा था. वहां पर उत्पादन घट कर बारह हजार टन पर आ गया है. उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों की खुली खदानों का भी यही हाल है. अधिसंख्य में उत्पादन पूरी तरह से ठप है.
तकनीकी निदेशक (ऑपरेशन) श्री शुक्ला ने कहा कि श्रीपुर क्षेत्र की भनोडा वेस्ट खुली खदान पूरी तरह से पानी से भरा हुआ है. उसमें कई कीमती मशीनें भी डूबी हुयी हैं. बारिश बंद होने का नाम ही नहीं ले रही है. प्राकृतिक विपदा के सामने किसी का कोई चारा नहीं चल रहा है. उन्होंने कहा कि कालीपहाड़ी खुली खदान भी पानी में डूबी है. उत्पादन पूरी तरह से बाधित है. पाण्डेश्वर एरिया में खोट्टाडीह कोलियरी, डालुरबांध खुली खदानों से दो दिनों से उत्पादन बंद है. खोट्टाडीह कोलियरी से प्रतिदिन डेढ़ हजार टन कोयले का उत्पादन होता था.
इसी तरह डालूरबांध कोलियरी से रोजाना 12 सौ टन कोयले का उत्पादन हो रहा था. सालानपुर एरिया की सभी खुली खदाने वर्षा से प्रभावित है. उत्पादन पूरी तरह से ठप है. मोहनपुर कोलियरी, डाबर कोलियरी एवं गोरांडी कोलियरी से प्रतिदिन पांच हजार टन कोयले का उत्पादन हो रहा था. कुनुस्तोडिया एरिया की परसिया कोलियरी, नारायणकुड़ी कोलियरी, नॉर्थ सियारसोल कोलियरी में उत्पादन प्रभावित है. इन खदानों से तीन हजार टन कोयले का उत्पादन हो रहा था. इस समय एक छंटाक भी कोयले का खनन नहीं हो पा रहा है.
उन्होंने कहा कि काजोडा एरिया की जामबाद कोलियरी एवं माधवपुर खुली खदान में भी उत्पादन बाधित है. दोनों जगह से प्रतिदिन लगभग डेढ़ हजार टन उत्पादन होता रहा है. उन्हंने कहा कि केंदा एरिया की शंकरपुर कोलियरी एवं बनबहाल खदानों में उत्पादन बाधित है. यहाँ लगभग एक हजार टन कोयले का उत्पादन रोजाना हो रहा था. लेकिन बारिश के कारण उत्पादन शून्य है. इसी तरह मुगमा एरिया की चापापुर कोलियरी एवं कापासारा खुली खदाने भी प्रभावित हुई है. उत्पादन न के बराबर हो रहा है. उन्होंने कहा कि भूमिगत खदानें अवैध कोयला खनन के कारण प्रभावित हो रही है.
जहां- जहां कोयले का अवैध खनन किया जा रहा है, वे कहीं न कहीं कंपनी की खदानों को छू रही है. बारिश का पानी उसमे प्रवेश कर ईसीएल की खदानों में प्रवेश कर रहा है. जिसके कारण भूमिगत खदानों में अचानक पानी का जल स्तर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक पूरी तरह से अवैध खदानों को बंद नहीं किया जायेगा, तब तक कोई भी खदान सुरक्षित नहीं रहेगा. उन्होंने सातग्राम एरिया के कुवारडीह खदान में अवैध खनन के कारण ही दुर्घटना घटी है. उन्होंने कहा कि नोनिया जोड़ का पानी अवैध खदान में प्रवेश किया और अंदर ही अंदर पानी एकाएक कुवारडीह खदान में मंगलवार को प्रवेश कर गया. इसके कारण विश्वनाथ बाउरी उसमें बह गया.उसकी मौत हो गई.

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