इनमें से पश्चिम बंगाल के पांच, बिहार के चार, तामिलनाडु के तीन, कर्नाटक के तीन और एक आरोपी ओड़िशा का रहनेवाला है. सियालदह कोर्ट में पेश करने पर सभी को 21 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेजने का निर्देश दे दिया गया है. इनके पास से पुलिस ने 60 मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, पांच सरकारी व गैर सरकारी बैंक के पासबुक व डोंगल जब्त किये है. गिरोह के 13 सदस्यों को बागुइहाटी से व तीन सदस्यों को कैखाली और केष्टोपुर से गिरफ्तार किया गया है. बागुइहाटी में एक चिकित्सक के मकान का एक फ्लोर किराये पर लेकर यह गिरोह कॉल सेंटर की आड़ में यह गोरखधंधा चला रहा था.
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परदाफाश: कॉल सेंटर की आड़ में चलाते थे ठगी का धंधा, 16 गिरफ्तार, लकी ड्रॉ का लोभ देकर लगाते थे चूना
कोलकाता. कोलकाता पुलिस के धोखाधड़ी विभाग की टीम ने गुप्त जानकारी के आधार पर कॉल सेंटर की आड़ में ठगी का धंधा चलानेवाले गिरोह के 16 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों के नाम गौरव सिंह, मयंक डिडवानिया, सौरभ मिश्रा, समियुल्लाह, मणि मरन, गौरव सिंह उर्फ राजा सिंह, नागेश, अमित प्रधान, यलेप्पा, चिंटू कुमार […]
कोलकाता. कोलकाता पुलिस के धोखाधड़ी विभाग की टीम ने गुप्त जानकारी के आधार पर कॉल सेंटर की आड़ में ठगी का धंधा चलानेवाले गिरोह के 16 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों के नाम गौरव सिंह, मयंक डिडवानिया, सौरभ मिश्रा, समियुल्लाह, मणि मरन, गौरव सिंह उर्फ राजा सिंह, नागेश, अमित प्रधान, यलेप्पा, चिंटू कुमार शर्मा, प्रवीण कुमार, विकास जायसवाल, दीपक कुमार साव, तापू कुमार और राजेश कुमार हैं.
कैसे करते थे ठगी ः कोलकाता पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (5) सह संयुक्त आयुक्त (अपराध) विशाल गर्ग ने बताया कि यह गिरोह सिर्फ कोलकाता के ही नहीं, बल्कि कोलकाता में रह कर देशभर के विभिन्न शहरों में रहनेवाले लोगों को अपना शिकार बनाता था. ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी नापतॉल से सामान खरीदनेवाले ग्राहकों के मोबाइल नंबर पर इस गिरोह के सदस्य फोन करते थे. जिस ग्राहक ने जितने ज्यादा बड़े अमाउंट की खरीदारी की है, यह गिरोह उन ग्राहकों को उतनी बड़ी रकम लॉटरी में जीतने की जानकारी देकर उन्हें आकर्षित करता था. इतना ही नहीं, विश्वास अर्जन के लिए उन ग्राहकों के नाम पर बड़े आकार में चेक तैयार कर नाम की स्पेलिंग चेक करने के लिए उसकी प्रतिलिपि भी ग्राहकों के इमेल पर भेज देता था.
किराये के बैंक अकाउंट का लेते थे सहारा
ग्राहकों से रुपये मंगवाने के लिए यह गिरोह कुछ बैंक खाताधारियों के अकाउंट को किराये पर ले लेते थे. इसके बदले महीने में अकाउंट के मालिक को दो से पांच हजार रुपये तक भुगतान कर दिया जाता था. पकड़े जाने के डर से खुद के बजाय किराये के अकाउंट को ही गिरोह के सदस्य ज्यादा इस्तेमाल करना पसंद करते थे. इस गिरोह के जाल में फंस कर उत्तर कोलकाता के चितपुर इलाका निवासी अरुण कुमार सिन्हा ने 30 जनवरी को शिकायत दर्ज करायी थी, जिसके बाद पुलिस जांच में इस गिरोह तक पहुंची.
एक वर्ष पहले से चला रहे थे यह गोरखधंधा
श्री गर्ग ने बताया कि एक वर्ष पहले से यह गिरोह अपना धंधा चला रहा था. इस गिरोह के सदस्यों में बंगाली से लेकर बिहारी, ओड़िया व तमिल बोलनेवाले मौजूद हैं. बिहारी ग्राहकों को बिहारी भाषा बोलनेवाले सदस्य फोन करते थे, जबकि बांग्ला भाषा बोलनेवाले ग्राहकों को गिरोह के बंगाली सदस्य फोन करते थे. इस गिरोह के मुख्य शातिर सदस्य की पुलिस को तलाश है. जल्द ही उसे भी गिरफ्तार कर लिया जायेगा. पुलिस का कहना है कि इस गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र स्थित नापतॉल कंपनी के अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश हो रही है. क्योंकि उस कंपनी के ग्राहकों की सूची इस गिरोह को कौन सप्लाई करता था. अब पुलिस का मुख्य मकसद उस व्यक्ति तक पहुंचना है.
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