कोलकाता: मेघालय के मुख्यमंत्री डॉ मुकुल संगमा ने उत्तर-पूर्व के विकास के लिए पड़ोसी देशों के साथ संबंध बेहतर बनाने की वकालत की है. भारत चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित सम्मेलन में डॉ संगमा ने कहा कि उत्तर-पूर्व में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है. मानव संसाधन के मामले में भी हम देश के अन्य हिस्सों से आगे हैं.
पर, हमारी भौगोलिक स्थिति देश के अन्य हिस्सों से अलग है. केंद्र ने तीस्ता नदी जल बंटवारे की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है, लेकिन इससे भी जरूरी है पड़ोसी देशों के साथ संबंध. पाकिस्तान के साथ मामला कुछ और है, लेकिन अगर बांग्लादेश, म्यांमार व चीन के साथ भी हमारे संबंध अच्छे नहीं रहे, तो इसका सबसे खराब असर उत्तर-पूर्व पर पड़ेगा. उत्तर-पूर्व के राज्य कठिनाई के बावजूद विकास कर रहे हैं. देश के अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर-पूर्व में प्रति व्यक्ति आमदनी काफी अधिक है.
बार-बार यह कहा जाता है कि उत्तर-पूर्व के राज्यों में हिंसक घटनाएं होती हैं. हकीकत तो यह है कि यह उत्तर-पूर्व के कुछ इलाकों तक ही सीमित है. ऐसी घटनाएं तो पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, सभी जगह पर हो रही हैं. सच्चई यह है कि देश के अन्य हिस्सों से उत्तर-पूर्व में व्यवसाय करना अधिक आसान है. अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल निर्भय शर्मा ने कहा कि उत्तर-पूर्व में जितना प्राकृतिक संसाधन है, उसमें से अधिकतर का अभी इस्तेमाल तक नहीं हुआ है. सम्मेलन को त्रिपुरा के उद्योग मंत्री जितेंद्र चौधरी, असम के उद्योग सचिव राम तीर्थ जिंदल आदि ने भी संबोधित किया.
उत्तर-पूर्व से आ रहा है माओवादियों को हथियार
देश भर में फैले माओवादियों को आधुनिक हथियार की सप्लाई उत्तर-पूर्व से हो रही है. यह सनसनीखेज खुलासा स्वयं मेघालय के मुख्यमंत्री डॉ मुकुल संगमा ने किया है. डॉ संगमा ने कहा कि उन्हें यह कहने में थोड़ी भी ङिाझक नहीं है कि जो माओवादी पहले देसी हथियार इस्तेमाल करते थे, वे अब खतरनाक आधुनिक हथियारों से लोगों व सशत्र बलों पर हमले कर रहे हैं. माओवादियों के हाथों में ये हथियार उत्तर-पूर्व से पहुंच रहे हैं. म्यांमार व बांग्लादेश सीमा से ये हथियार उत्तर-पूर्व में दाखिल हो रहे हैं और वहां से देश भर के माओवादियों के हाथों में पहुंच रहे हैं.