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वेश्यावृत्ति से बचाने के लिए लड़कियों का एक्स-रे टेस्ट

कोलकाता: वेश्यावृत्ति में किशोरियों के प्रवेश को रोकने की कोशिश के तहत यौन कर्मियों का एक संगठन दरबार महिला समन्वय समिति आगे आया है. यह संगठन देह व्यापार में शामिल होने वाली लड़कियों की उम्र का पता लगाता है. इसके लिए वह एक्स-रे परीक्षण का इस्तेमाल एक उपकरण की तरह कर रहा है. यौन कर्मियों […]

कोलकाता: वेश्यावृत्ति में किशोरियों के प्रवेश को रोकने की कोशिश के तहत यौन कर्मियों का एक संगठन दरबार महिला समन्वय समिति आगे आया है. यह संगठन देह व्यापार में शामिल होने वाली लड़कियों की उम्र का पता लगाता है. इसके लिए वह एक्स-रे परीक्षण का इस्तेमाल एक उपकरण की तरह कर रहा है. यौन कर्मियों के इस संगठन द्वारा देह व्यापार में ढकेली जा रही नाबालिग लड़कियों को रोकने के लिए समूचे पश्चिम बंगाल में एक्स-रे का इस्तेमाल किया जा रहा है.

इस संगठन के 1.30 लाख सदस्य

दरबार की वरिष्ठ अधिकारी महाश्वेता ने कहा कि हम नहीं चाहते कि किशोरियां इस व्यापार में आएं, लेकिन दलाल और यहां तक कि गरीब परिवारों के अभिभावक लड़कियों को 18 वर्ष से ज्यादा का बताने की कोशिश करते हैं. हम पहले पूछते हैं कि क्या वे 18 वर्ष से ज्यादा की हैं. अधिकतर लड़कियां झूठ बोलती हैं. 16 साल की लड़की को देख कर यह बताना बहुत मुश्किल होता है कि वह 16 की है या 18 की. ऐसी स्थिति में हम उनकी असल उम्र पता लगाने के लिए एक्स-रे परीक्षण करते हैं.

भेजी जाती हैं सुधारगृह

अधिकारी ने कहा कि पूछताछ के बाद अगर यह साबित होे जाता है कि उन्हें इसमें जबरन ढकेला गया है, तो हम उन्हें सरकार के गृहों या उनके माता-पिता के पास भेज देते हैं, लेकिन सभी मामलों में हम एक्स-रे परीक्षण करते हैं. उन्होंने कहा कि एक्स- रे परीक्षण से सैकड़ों किशोरियों को बचाया जा चुका है.

कलाई और कमर का एक्स-रे

एक गैरसरकारी संगठन सोनागाछी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की प्रधानाचार्य समरजीत जाना ने कहा कि कलाई और कमर का एक्स-रे करके महिला की उम्र का आसानी से पता लगाया जा सकता है. यह सरल तरीका है. पश्चिम के देशों में नाबालिगों को देह व्यापार में जाने से रोकने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.

सरकार की मदद

दरबार के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने देह व्यापार में ढकेली जा रही किशोरियों के खिलाफ राज्य सरकार की मदद से यह अभियान शुरू किया.

इन जगहों पर अभियान

कोलकाता के अलावा यह अभियान कूचबिहार, जलपाइगुड़ी, मालदा, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और मुर्शिदाबाद में भी चल रही है.

इस प्रक्रिया को भारत में व्यापक तौर पर अभी अपनाया जाना है. हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह बंगाल मॉडल अन्य राज्यों को एक रास्ता दिखायेगा. इस शहर में एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी से पहली बार ऐसी पहल को शुरू की गयी है.’

समरजीत जाना, सोनागाछी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के प्रधानाचार्य.

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