कोलकाता: मानवाधिकार आयोग की सिफारिश के बावजूद अब तक राज्य सरकार से मुआवजे की राशि नहीं मिलने पर शिलादित्य चौधरी ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बेलपहाड़ी की एक सभा के दौरान खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शिलादित्य को ‘माओवादी’ करार दिया था. कलकत्ता हाइकोर्ट में मंगलवार को मामला दायर किया गया. 12 दिसंबर को जज संजीव बनर्जी की अदालत में शिलादित्य के आवेदन की सुनवाई होगी.
गौरतलब है कि मानवाधिकार आयोग ने भले ही शिलादित्य को मुआवजा देने की सिफारिश की हो, लेकिन सरकार ने इसे नहीं माना था. लिहाजा काटरून कांड में पीड़ित प्रोफेसर अंबिकेश महापात्र की राह पर ही शिलादित्य ने हाइकोर्ट में मामला दायर किया है. वर्ष 2012 के आठ अगस्त को बेलपहाड़ी में मुख्यमंत्री ने एक सभा के दौरान सवाल पूछने पर शिलादित्य को माओवादी करार दिया था. घटना के दिन पुलिस ने शिलादित्य को गिरफ्तार नहीं किया था. दो दिनों बाद उसे उसके घर से गिरफ्तार किया गया.
प्रदेश भाजपा के आवेदन के आधार पर मानवाधिकार आयोग ने मामले की जांच शुरू की. गिरफ्तारी के औचित्य पर सवाल उठाते हुए 15 जुलाई को आयोग ने कहा कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी के कारण शिलादित्य चौधरी सामाजिक व मानवाधिकार की दृष्टि से प्रभावित हुए हैं. उन्हें दो लाख रुपये मुआवजा देने की आयोग ने सिफारिश भी की. आठ हफ्ते के भीतर मुआवजा देने के लिए कहा गया. हालांकि राज्य सरकार ने इसे नहीं माना था.