कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से फेसबुक पेज पर अपने दाजिर्लिंग जाने और समस्या के लिए गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) की ओर संकेत किये जाने के बाद गोजमुमो प्रमुख विमल गुरुंग ने भी फेसबुक पर इसका जवाब दिया है.
उन्होंने अपने पेज पर लिखा है कि यदि मुख्यमंत्री पहाड़ के लोगों का सम्मान करती हैं, तो उन्हें इस क्षेत्र के लोगों की भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए. गोरखालैंड की मांग समूचे गोरखा व पहाड़ के अन्य समुदायों की है. भावनाओं का सम्मान करने की जगह मुख्यमंत्री कड़े स्वर में बात कर रही हैं. भावनाओं के सम्मान की जगह धरपकड़ अभियान चलाया जा रहा है. सरकार ने भी त्रिपक्षीय करार को तोड़ा है, क्योंकि मुख्यमंत्री ने वर्ष 2007-11 तक के उन राजनीतिक मामलों को वापस नहीं लिया, जो मोरचा नेताओं के खिलाफ थे. जीटीए की हर धारा में सरकार की मंजूरी की बात कही गयी है, जो यह साबित करती है कि जीटीए स्वायत्त नहीं है. जीटीए नेताओं व समर्थकों को जिन्हें जमानत दी गयी, उन्हें हिरासत से छूटने से पहले अन्य मामलों में गिरफ्तार दिखाया जाता है.
इस क्षेत्र के इतिहास में पहली बार 20 दिनों में 600 लोगों को गिरफ्तार किया गया और वह भी पुराने मामलों में. मुख्यमंत्री क्या शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए पहाड़ के लोगों के प्रति यही सम्मान दिखा रही हैं. पहाड़ के लोगों की भावनाएं कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं, बल्कि राजनीतिक समस्या है. राज्य मशीनरी चाहे जितनी गिरफ्तारियां कर ले. लोग जेल जाने के लिए तैयार हैं. वह कितने लोगों को गिरफ्तार कर सकते हैं. 100 वर्ष से अधिक पुरानी यह मांग है और मुख्यमंत्री का यह सोचना गलत होगा कि लोगों की भावनाएं केवल मोरचा आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करने से ही खत्म हो जायेंगी. यह मांग और मजबूत होगी. यह विकास का मुद्दा नहीं बल्कि अस्तित्व का मुद्दा है. मुख्यमंत्री को यह समझना होगा. बंगाल के राज्यपाल की घोषणा कि वह मध्यस्थता के लिए तैयार हैं, स्वागतयोग्य है. आशा है कि वह जल्द से जल्द उपयुक्त कदम उठायेंगे.