नाबालिग की बुआ के बेटों ने ही अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म के बाद की थी हत्या
कोलकाता : दक्षिण 24 परगना के सोनारपुर में नाबालिग लड़की की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में बारुईपुर अदालत के अतिरिक्त न्यायाधीश रामेंद्र नाथ मखाल ने दो दोषियों शब्बीर अली लस्कर और पालान अली लस्कर को फांसी की सजा सुनायी. दुष्कर्म और हत्या की यह घटना 27 सितंबर 2007 को हुई थी. मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था. एक आरोपी नाबालिग था, इसलिये उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया.
मामले के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर सोमनाथ थे. वर्तमान में वह गरचुमुक के सर्किल इंस्पेक्टर हैं. बारूईपुर के इतिहास में पहली बार दोषियों को फांसी की सजा सुनायी गयी है. 13 साल पहले हुई घटना को अदालत ने जघन्य करार दिया. अदालत ने कहा कि एक बहन को अपने भाई से सुरक्षा नहीं मिली.
क्या है मामला: घटना 13 साल पुरानी है. सरकारी अधिवक्ता तपन कुमार ने बताया कि 2007 के 27 सितंबर को सोनारपुर के बनहुगली दो नंबर पंचायत के जयकृष्णपुर चियारी, मालपाड़ा की 12 वर्षीय नाबालिग लड़की दोपहर में अपने घर में थी. उसकी बुआ का बेटा शब्बीर वहां पहुंचा और पीड़िता को घुमाने के नाम पर अपने साथ ले गया.
लड़की की मां ने भी यह जानकर आपत्ति नहीं की कि भाई ही उसे ले जा रहा है. लड़की के घर न लौटने पर परिवारवालों ने उसकी तलाश शुरू की. अगले दिन उसकी चप्पल बरामद हुई, पर लड़की का पता नही चला. बाद में गले में गमछे का फंदा लगे हालत में पेयारा बागान के तालाब से लड़की का शव बरामद हुआ.
परिजनों ने सोनारपुर थाने में शब्बीर अली, उसके भाई पालान अली और एक अन्य नाबालिग के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी. पुलिस ने जांच के दौरान लड़की की कान की बालियों को शब्बीर के घर से बरामद की. इसके बाद पुलिस ने शब्बीर, उसके भाई पालान और एक नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया.