गुड़गांव के मेदान्ता अस्पताल का अनोखा कारनामा
इसी अस्पताल ने जारी किया था डेथ सर्टिफिकेट
परिवारवालों ने लगाया भावनाओं के साथ खिलवाड़ का आरोप
अस्पताल को भेजा शिकायती पत्र
सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी सहित देश भर में डॉक्टरों पर चिकित्सा में लापरवाही बरतने के आरोप लगते रहे हैं. लेकिन इन दिनों अस्पतालों द्वारा रिकार्डो व दस्तावेज तैयार करने में भी लापरवाही बरतने का मामला सामने आ रहा है.
कुछ इसी तरह की घटना सिलीगुड़ी के सेवक रोड निवासी सिद्धार्थ अग्रवाल के साथ भी घटी. उन्होंने गुड़गांव के मेदान्ता मेडिसिटी अस्पताल पर दस्तावेज बनाने में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. मेदान्ता अस्पताल ने अपने यहां ही मृत एक रोगी को नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए बुलाया है.
क्या है मामला : सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया है कि वह अपने चाचा सुनील कुमार अग्रवाल को इलाज के लिए मेदान्ता अस्पताल ले गये थे, जहां 13 जून, 2013 को इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गयी थी. 47 वर्षीय सुनील कुमार अग्रवाल सिलीगुड़ी के प्रतिष्ठित व्यवसायियों में शुमार थे.
लापरवाही का लगाया आरोप
सिद्धार्थ अग्रवाल ने बताया है कि उन्होंने 31 मई, 2013 को मेदान्ता अस्पताल के डॉक्टरों को अपने चाचा सुनील कुमार अग्रवाल को दिखाया, तो डॉक्टरों ने बताया कि उनके वल्व में छेद है और उसे बदलने की जरूरत है. उसके बाद उन्हें अस्पताल में सजर्री के लिए भरती करा दिया गया.
डॉक्टर नरेश त्रेहन ने अस्पताल में भरती होने के करीब एक सप्ताह बाद सुनील कुमार अग्रवाल की सजर्री की. उन्होंने डॉक्टर त्रेहन सहित मेदान्ता अस्पताल पर चिकित्सा में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अस्पताल में भरती रहने के दौरान चिकित्सकों ने उनकी उचित चिकित्सा नहीं की और परिवारवालों को भी अंधेरे में रखा.
इस दौरान सुनील कुमार अग्रवाल के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती गयी और बाद में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया.
सिद्धार्थ अग्रवाल ने आरोप लगाया कि इसी दौरान आठ जून को रोगी को वेंटिलेटर पर छोड़कर डॉक्टर नरेश त्रेहन विदेश चले गये. उनके विदेश जाने के बाद 13 जून को आखिरकार सुनील कुमार अग्रवाल की मौत हो गई. मेदान्ता अस्पताल ने उनकी मौत का डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया, जिसमें डॉक्टर नरेश त्रेहन ने हस्ताक्षर किया है.
परिवार के लोग अस्पताल को कोसते हुए सुनील कुमार अग्रवाल के शव को लेकर सिलीगुड़ी आ गये. उस घटना के बाद से अब तक करीब एक साल का समय बीत चुका है. इस दौरान परिवार के लोग सुनील कुमार अग्रवाल की मौत को भुलकर सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन परिवार के लोगों का जख्म उस समय हरा हो गया जब मेदान्ता अस्पताल से पिछले महीने एक चिट्ठी आयी.
यह चिट्ठी मृतक सुनील कुमार अग्रवाल के नाम से थी और उन्हें मेदान्ता अस्पताल ने नियमित चेकअप के लिए अस्पताल बुलाया. इस चिट्ठी में मेदान्ता अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक बीके चोपड़ा का हस्ताक्षर है. इस चिट्ठी में मृतक सुनील कुमार अग्रवाल को जांच के लिए अस्पताल बुलाया गया. उसके बाद से परिवार के लोग आश्चर्य में पड़ गये.
परिवार के लोगों का कहना है कि जिस मरीज की मौत हो चुकी है और मेदान्ता अस्पताल ने खुद इस संबंध में डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया है तो फिर मृतक मरीज को चेकअप के लिए कैसे बुलाया जा सकता है.
परिवार वालों ने इसे घोर लापरवाही बताया है और अस्पताल पर भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है. परिवार के लोगों ने इस आशय की एक शिकायत मेदान्ता अस्पताल से की है.