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प्रताड़ित पुरुषों को मदद के लिए नहीं पड़ेगा भटकना

कोलकाता: आम धारणा है कि भारत में महिलाएं ही पुरुषों के अत्याचार की शिकार होती हैं, पर अगर पिछले कुछ वर्षो के आंकड़ों एवं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के तथ्यों को देखा जाये तो यह खौफनाक सच्चई सामने आती है कि बड़ी संख्या में पुरुष भी घरेलू हिंसा का शिकार हो रहे हैं. साथ ही […]

कोलकाता: आम धारणा है कि भारत में महिलाएं ही पुरुषों के अत्याचार की शिकार होती हैं, पर अगर पिछले कुछ वर्षो के आंकड़ों एवं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के तथ्यों को देखा जाये तो यह खौफनाक सच्चई सामने आती है कि बड़ी संख्या में पुरुष भी घरेलू हिंसा का शिकार हो रहे हैं. साथ ही पुरुषों से अधिक महिलाएं ही महिलाओं को नुकसान पहुंचा रही हैं. कानून की धारा 498ए के वजूद में आने के बाद से स्थिति ही बदल गयी है.

जानकारों का मानना है कि महिलाओं को ससुराल वालों के अत्याचार से बचाने के लिए बनाया गया 498ए धारा हकीकत में महिलाओं द्वारा अपने पतियों एवं उनके रिश्तेदारों को सताने का सबसे बड़ा हथियार बन गया है. 498ए के शिकार मर्द बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं. प्रताड़ित पुरुषों को महिलाओं के शोषण से बचाने एवं उन्हें यथासंभव मदद उपलब्ध कराने के लिए अब एक नया एंड्रायड ऐप आया है. प्रताड़ित पुरुषों की सहायता के लिए एसआइएफ वन नामक यह एंड्रॉयड ऐप गैर सरकारी संस्था सेव इंडिया फैमिली फाउंडेशन (एसआइएफएफ) ने तैयार किया है. संगठन के संयोजक अमित कुमार गुप्ता ने बताया कि घरेलू हिंसा के शिकार, सोशल मीडिया पर र्दुव्‍यवहार, पारिवारिक विवाद, कानूनी परेशानी इत्यादि के शिकार पुरुष अब केवल एक बटन दबा कर मदद हासिल कर सकते हैं.

मदद के लिए संपर्क करने वालों को न केवल मुफ्त में कानूनी व सामाजिक सहायता प्रदान करते हैं, बल्कि स्थिति से निबटने के लिए उनका मनोबल बढ़ाने का भी प्रयास करते हैं. श्री गुप्ता ने बताया पुरुष स्वभाव से संकोची होता है. वह अपने दिल की बात बड़ी मुश्किल से कहता है. हमारा लक्ष्य आगे बढ़ कर उनकी मदद करने के साथ उनका दुख-दर्द बांटना भी है. इसके साथ ही संगठन ने मदद के लिए एक नि:शुल्क हेल्पलाइन नंबर 8882498498 भी जारी किया है. उन्होंने बताया कि इस एप्प को लांच करते ही बेहद कम समय में 16 हजार से अधिक लोग इस एंड्रायड एप्प के द्वारा संपर्क कर चुके हैं. जिनमें 70 प्रतिशत पुरुष एवं 30 प्रतिशत महिलाएं हैं. पुरुषों में अधिकतर 498ए के सताये हुए हैं.

श्री गुप्ता ने बताया कि 2005 में बने इस कानून में महिलाओं को पुरुष हिंसा से सुरक्षा प्रदान करने की बात कही गयी है. पर महिलाओं को महिलाओं से सुरक्षित रखने एवं पुरुषों को महिलाओं के अत्याचार से बचाने की बात कोई नहीं कर रहा है. यही वजह है कि पुरुषों में आत्महत्या की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े के मुताबिक, प्रत्येक वर्ष 64 हजार से अधिक पुरुष खुदकुशी करते हैं. अर्थात प्रत्येक 8.3 मिनट में एक पुरुष अपनी जान देता है. आत्महत्या करने वाले पुरुषों में से अधिकतर घरेलू हिंसा का शिकार होते हैं.

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